अधिगम नि:शक्तताएं पर संक्षिप्त टिप्पणी (शॉर्ट नोट) लिखिए-

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विशेष बालकों में प्रतिभाशालो तथा सृजनशील बालक भी आते हैं हालांकि इनमें बाधिता या निःशक्तता (मानसिक व शारीरिक) नहीं होती। प्रतिभाशाली बालक प्रखर बद्धि के होते हैं इनकी बुद्धिलब्धि (I.Q.) 120 से अधिक होती है। स्कीनर व हैशमैन का कथन है कि प्रतिभाशाली बालक शब्द का प्रयोग उन एक प्रतिशत बालकों के लिए किया जाता है जो सबसे अधिक बद्धिमान हैं। स्कीनर व हैरोमैन ने प्रतिभाशाली बालकों को ये विशेषताएं बताई हैं- (1) विशाल शब्द भंडार, (2) मानसिक प्रक्रिया को तीव्रता, (3) दैनिक कार्यों में भिन्नता,(4) सामान्य अध्ययन में रुचि, (5) अध्ययन (पढ़ाई) में अद्वितीय सफलता, (6) अमूर्त विषयों में रुचि,(7) आश्चर्यजनक अन्तर्दृष्टि, (8). मंदबुद्धि व सामान्य बालकों में अरुचि, (9) पाठ्य विषय में अत्यधिक रुचि, (10) विद्यालय के कार्यों के प्रति बहुधा उदासीनता, (11) उच्च बुद्धिलब्धि (130 से 170 तक)

सृजनातमक बालक सृजन या भौतिक निर्माण करने, कला, संगीत, साहित्य के क्षेत्र में प्रतिभायुक्त होते हैं । जेम्स ड्रेवर के अनुसार सृजनात्मकता नई वस्तु को रचना करने की योग्यता है। बिने के शब्दों में, “एक व्यक्ति लकड़ी से मनचाही कलात्मक वस्तु बना सकता है। चित्रकार मनचाहे रंगों से चित्र की सजीवता प्रकट कर सकता है, इसी प्रकार मूर्तिकार एवं वास्तुविद भी अपनी अपनी कलाओं की छाप छोड़ते हैं, यही तो सृजनात्मकता है।’

एक सृजनशील बालक में ये प्रमुख विशेषताएं पाई जाती हैं-

(1) प्रखर बुद्धि, (2) विचारों की स्वतंत्रता, (3) कार्यों में स्वतंत्रता,(4) आत्म प्रकाशन, (5) सौंदर्यात्मक दृष्टि, (6) कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन ,(7) मौलिकता, (8) कार्यों में विविधता ।

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