नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 के शिक्षा विषयक प्रमुख प्रावधानों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

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निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 का पूरा नाम “निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 है। यह जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपर्ण भारत में दिनांक 1-1-1996 से प्रभावशील है । इसके अध्याय 5 में निःशक्त बालकों की शिक्षा संबंधी प्रावधान धारा 26 से धारा 31 में वर्णित है। प्रमुख प्रावधान का संक्षेप है-

धारा 26- प्रत्येक निःशक्त बालक को अठारह वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक उचित वातावरण में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त होगी। निःशक्त विद्यार्थियों का सामान्य विद्याल किया जाएगा। जिनके लिए विशेष शिक्षा की आवश्यकता है उनके लिए विशेष विद्यालयों में प्रवेश होगा जहाँ व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाएं भी होंगी। धारा 27- कक्षा 5वीं तक शिक्षा प्राप्त तथा फिर शाला जाना छोड़ देने वाले निःशक्त बालकों हेतु अंशकालीन कक्षाओं का संचालन होगा तथा 16 वर्ष व उससे ऊपर की आयु के बालकों के लिए क्रियात्मक साक्षरता हेतु विशेष अशकालीन कक्ष्ज्ञाए चलाई जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में अनोपचारिक शिक्षा तथा खले विमान (ओपन स्कल) में शिक्षा दी जाएगी। अन्य क्रियात्मक इलेक्ट्रॉनिक या अन्य संचार माध्यमों से शिक्षा दी जाएगी । निःशुल्क पुस्तके व उपस्कर दिये जायेंगे । धारा 28. सहायक शिक्षण मापी आदि डिजाइन को जाकर इनका विकास होगा। धारा 29. पर्याप्त शिक्षण प्रशिक्षण या खोली जाकर शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। धारा 30- निःशक्त बालकों हेत परिवहन सविधाएं उनके अभिभावकों हेतु वित्तीय प्रोत्साहन विद्यालयों में निःशक्त के आगे जाने के अवरोध हटाना, बालकों को पुस्तकें, वर्दियों का निःशुल्क प्रदाय, उन्हें छात्रवृत्ति, पाठ्यक्रम को पुनर्सरचना आदि से लाभान्वित किया जाएगा । धारा 31- नेत्रहीन तथा कम सृष्टि वाले निःशक्त बालकों हेतु लेखन करने वालों की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

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