बहुअक्षमता पर संक्षिप्त टिप्पणी (शॉर्ट नोट) लिखिए-

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बहुअक्षमता एक ऐसी स्थिति है जिसमें बालक कई प्रकार से अक्षम होता है। यह अक्षमता शारीरिक व मानसिक या मानसिक और संवेगात्मक भी हो सकती है। सचवार्टज ने बहुअक्षमता या बह असमर्थता की परिभाषा देते हुए कहा है कि बहुअक्षम बालक में दो या दो से अधिक अक्षमताएं एक साथ हो सकती हैं। जैसे मक और बधिर बालक, दृष्टिबाधित तथा अस्थिबाधित, मंदबुद्धि और श्रवणबाधित बालक, पैरों तथा हाथों से बाधित बालक।

बहुअक्षम बालक को अपने समायोजन में दोहरी बाधाओं या तिहरी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए बहबाधित बालक को शिक्षित करना अधिक कठिन कार्य हो जाता है। प्राय: बहुबाधित बालक को सामान्य कक्षा में बैठाकर पढ़ाना कठिन हो जाता है क्योंकि शिक्षक ऐसे बालकों पर इसलिए व्यक्तिगत ध्यान नहीं दे पाते क्योंकि उन्हें कक्षा के 30-35 छात्रों को एक साथ पढ़ाना होता है । इसलिए ऐसे बालकों को सामान्य कक्षा में न बैठाकर पृथक कक्षा में बैठाकर संसाधन शिक्षक या विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक की देखरेख में शिक्षित किया जाना चाहिए। यदि बहुअक्षम बालक अतिगंभीर किस्म की अक्षमताओं से ग्रसित है तो उसकी शिक्षा विशेष विद्यालयों में विशेषज्ञ, चिकित्सा सुविधा, अनेक उपकरण, शिक्षण सामग्रियों तथा छात्रावास में आवासीय सुविधा उपलब्ध रहती है। बह अक्षमता वाले बालकों को विभिन्न संचयों (डिफरेंट कांबिनेशन्स) के द्वारा शिक्षित करने की सुविधा भी विशेष विद्यालयों में उपलब्ध रहती है।

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