मन्द अधिगमकर्ता कौन है? इनकी विशेषताओं की चर्चा करते हुए, इनकी शिक्षा योजना पर प्रकाश डालें।

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किसी कक्षा में कुछ बुद्धिमान या प्रतिभावान छात्र होते हैं, उसी प्रकार कक्षा में कुछ छात्र ऐसे होते हैं जो मंद अधिगम कर्ता होते हैं जिन्हें औसत तथा मानसिक रूप से मंदबुद्धि माना जा सकता है। अधिकांश विद्यालय व्यवस्थाओं में मानसिक रूप से मंदबुद्धि बालका का विशेष विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाता है, लेकिन मंद अधिगमकर्ता बालकों को सामान्य या नियमित कक्षाओं में प्रवेश दिलाया जाता है। यदि बच्चे औसत बच्चों से पर्याप्त भिन्न होते है

इसलिये उन्हें कक्षा अध्यापक से विशेष सहायता की आवश्यकता होती है। इन्हें शैक्षिक वर्ष में जितनी जल्दी हो सके पहचाना जाना चाहिये ताकि उनको आवश्यक विशेष ध्यान दिया जा सके।

यह अनुमान लगाया जाता है कि मंद अधिगम कर्ता किसी प्राथमिक विद्यालय के लगभग 20 प्रतिशत छात्र होते हैं। उनकी शैक्षिक उपलब्धि साधारणतया होती है विशेषकर पढ़ने में तथा गणितीय तर्क में । आठवीं कक्षा तक पहुँचते– पहुँचते मंद अधिगमकर्ता एक या दो वर्ष पीछे चले जाते हैं। उन्हें अक्सर असफलता का सामना करना पडता है इसलिये वे विद्यालय को छोड़ने की प्रवृत्ति भी रखते हैं या बाल अपराधी बन सकते हैं। इन बच्चों को सभी प्रकार की संभव सहायता दी जानी चाहिये ताकि उनके पास जो भी योग्यता है वे बेकार न चली जाये।


विशेषतायें

वह अमूर्त चिंतन करने में असमर्थ है–

(1) वह अमूर्त चिंतन करने में असमर्थ है।

(2) वे कार्य के लिये निर्देशों को समझने व उनके करने में अयोग्य है।

(3) सामान्य ज्ञान की अनुपस्थिति तथा समूह की तर्क स्तर में कमी।

(4) जटिल खेल नियमों को समझने में अयोग्य।

(5) सभी प्रकार के क्षेत्रों में धीमा– शैक्षिक, सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक ।

(6) स्वतंत्र रूप से कार्य करने में अक्षम ।

(7) उसकी रुचि तथा ध्यान का विस्तार सीमित होता है।

(8) विद्यालय में सामान्य स्तर उपलब्धि के पीछे होता है।

(ख) प्रागैतिक अभिलेखों का अध्ययन– वे बुद्धि, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य तथा सामाजिक समायोजन में आसानी से तुलना करते हैं।

(ग) उन्हें स्तरीय परीक्षण प्रशासित करो– उनकी बुद्धि लब्धि 75 से 90 के बीच है।

(घ) अविधिक परीक्षण– चित्र खेल, तीव्रता के खेल, स्मृति परीक्षण, सामान्य सूचना परीक्षण, केन्द्रण खेल आदि।

विद्यालय का योगदान

(1) विद्यालय को उनके लिए एक विशेष कक्ष तथा प्रशिक्षित अध्यापक को उपलब्ध कराना चाहिए।

(2) यदि विशेष कक्षायें उपलब्ध हैं तो इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

(3) प्रधानाचार्य की उचित प्रवृत्ति, उचित मात्रा तथा गुणवत्ता की सामग्री भी होनी चाहिए।

अध्यापक की समस्या

(1) घटनाक्रम को जानने के लिये बहुत अधिक प्रश्न करते हैं।

(2) शैक्षिक कार्य में अपने को अलग कर लेते हैं।

(3) सामाजिक समस्याओं में वे सभी अस्वीकार्य हैं, आक्रामक तथा अंतर्मुखी हो जाते हैं।

(4) अनुशासन की समस्या, जोरदार लड़ाइयाँ, बहस आदि से कक्षा में व्यवधान होता है |

मंद अधिगमकर्ता की समस्यायें

(1) वे ईमानदारी से कार्य करने का प्रयत्न करते हैं जिससे व्यथा होती है।

(2) इन्हें औसत स्तर से मापा जाता है न कि औसत से निम्न स्तर के लिए। उन्हें पुरस्कार आदि नहीं मिलता तथा उनकी असफलता के लिए दंड मिलता है।

(3) वह भयभीत, हतोत्साहित तथा आक्रामक भी हो जाते हैं।

(4) अध्यापक परिस्थितिवश बालक पीछे और पीछे की ओर गिरता है तथा अपने को अध्यापकों तथा कक्षा के साथियों से अलग हो जाता है।

(5) विद्यालय का कठोर पाठ्यक्रम, अध्यापकों का असहानुभूति पूर्ण व्यवहार उनके लिए व्यग्रता लेकर आता है।

सहायता कैसे करें

(1) मंद अधिगमकर्ता को स्वीकार करें– इस प्रकार मत सोचो कि मानसिक विकास उसकी अपनी गलती के कारण है। उसकी सकारात्मक रूप से प्रशंसा करो तथा उसे विश्वास में लो।

(2) बालक को आपको तथा विद्यालय दोनों को स्वीकार करना चाहिए– उनकी नकारात्मक प्रवृत्ति को सकारात्मक प्रवृत्ति में परिवर्तित करने का प्रयत्न करो।

यह नकारात्मक प्रवृति बहुत गहरी जड़े जमा चुकी हो सकती है, आपको उनकी सहायता इसलिए करनी है कि वे आपकी तथा आपके माध्यम से विद्यालय को स्वीकार कर सकें।

(3) मित्र स्वीकार्यता– उनकी सहायता उनके मित्रों तथा साथियों की स्वीकार्यता को प्राप्त करने में करनी चाहिए। यदि वह सहयोग तथा सहायक है तो इन योग्यताओं को बनाने में योगदान दो। उसे स्वयं को महत्त्वपूर्ण समझने दो तथा योगदान करने दो।

वह क्या कर सकता है इस पर अधिक जोर देना चाहिए न कि इस पर कि वह क्या नहीं कर सकता है।

(4) पारिवारिक स्वीकार्यता– माता– पिता को यह समझने में सहायता करनी चाहिये कि उसका शैक्षिक व्यवहार उसके आलस्य या कर्त्तव्यविमुख के कारण नहीं है बल्कि वह बेहतर कार्य के लिए समर्थ नहीं है।

(5) उसकी अपनी स्वीकार्यता– इस प्रकार के बालक को मित्रतापूर्वक, धैर्यपूर्ण मार्गदर्शन से उसकी सीमाओं का ज्ञान कराने में सहायता की जा सकती है तथा इस प्रकार वह विद्यालय में संतुष्टिपूर्वक समायोजन कर सकता है।

(6) उसके बारे में सब कुछ जानो– बालक के बारे में सभी प्रकार की सही सूचनाओं को एकत्र करो।

मंद अधिगमकर्ता की शिक्षा के लिए योजना

(क) छात्र को योजना बनाने में भागीदार के रूप

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