राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 व कार्ययोजना 1992 में विकलांगों की शिक्षा हेतु क्या कहा गया है?

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में शैक्षिक अवसरों की समानता कार्यक्रम के अंतर्गत संकल्प किया गया अंध, मूक, बधिर, मंदबुद्धि बालकों की विशेष शाखाओं में केवल उन्हीं विकलांग बालकों को प्रवेश दिया जाएगा जिनकी आवश्यकताएं सामान्य (समावेशी) विद्यालयों में पूरी नहीं की जा सकती। नई शिक्षा नीति यह प्रेरणा देती है कि जहाँ कहीं भी संभव है, गति संबंधी विकलांगता तथा मामूली किस्म की विकलांगता वाले बच्चों की शिक्षा अन्य बच्चों के साथ सामान्य होगी। गंभीर विकलांगता वाले बालकों को जिला मुख्यालयों में स्थित छात्रावास (बालक बालिका हेतु पृथक-पृथक) वाले विशेष स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा। इस शिक्षा नीति में विकलांग बालकों के लिए स्कूल पूर्व तैयारी हेतु उपयुक्त व्यवस्था तथा अन्य बालकों के साथ सामान्य रूप से और विशेष व्यावसायिक केन्द्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

कार्य योजना 1992 में निम्नलिखित लक्ष्य विकलांग बालकों की शिक्षा हेतु निर्धारित किये गये-

(1) प्राथमिक शालाओं में सामान्य शिक्षा में सर्वसुलभ दाखिला तथा पाठ्यक्रम का समायोजन और अनुकूलन करना, विशेष आवश्यकताओं के शिक्षण के माध्यम से न्यूनतम शिक्षण स्तर की प्राप्ति सुनिश्चित करना।

(2) विशेष शालाओं का सामान्य स्कूलों को विशेष कक्षाओं में शिक्षा में क्षमता के अनुरूप शिक्षण की प्राप्ति।

(3) विकलांग बालकों की स्कूल छोड़ने की संरचना में कमी लाना।

(4) विकलांग बालकों विशेषकर मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए संसाधन वा प्रदान करना और व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शालाओं में व्यवस्था करना।

(5) स्कूल पूर्व शिक्षक प्रशिक्षण तथा सेवा पूर्व व सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करना।

(6) विकलांग व्यक्तियों की व्यावसायिक प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा रोट तथा गैर औपचारिक शिक्षा कार्यक्रम प्रारंभ करना।

(7) पाठ्यक्रम को लचीला, बालकेन्द्रित व अनुकूल बनाने हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक अनसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के दिशानिर्देश जारी कराना प्राथमिक स्तर पर नेत्र व कान से विकलांग बालकों के लिए पाठ्यक्रम तथा शैक्षिक सामग्री तैयार कर शिक्षकों को उपलब्ध कराना. कान से विकलांग बालकों हेतु एक से अधिक भाषा का अध्ययन अनिवार्य नहीं बनाना, विज्ञान-गणित शिक्षण हेतु NCERT द्वारा कार्यक्रम बनाना तथा NCERT द्वारा ब्रेल पुस्तकें, बेल किट, श्रव्य दृश्य सामग्री जैसी विशेष सहायता सामग्री तैयार कर शालाओं को उपलब्ध कराना आदि।

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