विकलांगों की समस्या पर आधारित, कोपनहेगन तथा बीजिंग सम्मेलन पर संक्षिप्त टिप्पणी (शॉर्ट नोट) लिखिए-

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विगत वर्षों में विकलांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने की गतिविधियां बढ़ो हैं । एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में 1993-2002 के दशक को विकलांग दशक के रूप में मनाया गया है। इस दौरान समाज के इस सर्वाधिक अलग-अलग पड़े विकलांग समुदाय को सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रमाप किए गए। एशियाई और प्रशांत दशक की कार्यसूची (एजेंडा) में विकलांग व्यक्तियों की पहुँच बढ़ाने, उनके लिए संचार और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने के बिन्दु सम्मिलित हैं।

सन् 1993-2002 की दशाब्दी के आयोजन के लिए बीजिंग (पेइचिंग) में दिनांक 1 दिसंबर 92 से 5 दिसंबर 92 तक बुलाए गए अधिवेशन में एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में निःशक्त व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समानता संबंधी उद्घोषणा को स्वीकार किया गया। भारत में इस सम्मेलन के बाद जारी इस उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए तथा इसी के अनुपालन में भारत में विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 बनाया गया।

सन् 1995 में सामाजिक विकास के बारे में कोपनहेगन में हए विश्व सम्मेलन में कहा गया था कि विश्व का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय विकलांग व्यक्तियों का है जिन्हें निर्धनता, बेकारी और सामाजिक अलगाव की समस्याओं से जूझना पड़ता है । दुनिया में प्रति 10 में 1 व्यक्ति (अर्थात् 10%) व्यक्ति विकलांग है । कोपनहेगन घोषणा वास्तव में विकलांग व्यक्तियों को सामाजिक गतिविधियों की मुख्य धारा लाने तथा उन्हें समाज से जोड़ने के बारे में की गई व्यापक घोषणाओं में से एक थी।

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