व्यक्ति अध्ययन् पर संक्षिप्त टिप्पणी (शॉर्ट नोट) लिखिए-

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व्यक्ति अध्ययन किस स्टडी) में किसी व्यक्ति या समूह का गहराई से विभिन्न पक्षों के आधार पर अध्ययन किया जाता है। शिक्षाविद पी.पी.यंग के अनुसार, “किसी व्यक्ति या समूह का विस्तृत अथवा व्याख्यापूर्ण अध्ययन ही जीवन का ऐतिहासिक अध्ययन कहलाता है । एकल अध्ययन का मूल उद्देश्य किसी व्यक्ति के उस व्यवहार तथा उसके कारणों को ज्ञात करना होता है जिस पर यह अध्ययन केन्द्रित होता है।”

एकल अध्ययन पद्धति का प्रयोग विशेष बालकों के संदर्भ में लाभप्रद होता है। इसमें प्रायः निम्नलिखित बालकों का अध्ययन हो सकता है-

(1) अतिप्रतिभाशाली बालक, (2) समस्या बालक, (3) वे बालक जो कक्षा में विलंब से आते हैं, (4) वे बालक जो शाला से तड़ी मारकर सिनेमा देखते या आवारागर्दी करते हैं. (5) शर्मीले तथा डरपोक किस्म के छात्र, (6) वे बालक जिनके परीक्षा परिणामों में निरंतर गिरावट आ रही है, (7) सामाजिकता से दूर एकांतवासी छात्र, (8) गालीगलौज करने वाले झगड़ालू विद्यार्थी, (9) कुसमायोजित बालक, (10) संवेगात्मक रूप से अशांत, कुंठित,खंडित मनस्क बालक इत्यादि ।

प्रायः एकल अध्ययन पद्धति प्रक्रिया से निम्नलिखित पदपदीय प्रक्रिया का पालन होता है-

(1) किसी समस्या या परिस्थिति का स्तर ज्ञात करना, (2) समंक (डाटा, आंकड़ों) का एकत्रीकरण, (3) कारण प्रभावों तथ्यों की पहचान, (4) आगे के समायोजन हेतु उपचार, (5) समायोजन कार्यरूपों का अनुश्रवण ।

एकल अध्ययन पद्धति प्रक्रिया में पहले व्यक्ति अध्ययन प्रपत्र (प्रोफार्मा) तैयार कर लेना चाहिए उदाहरण स्वरूप छात्र का नाम, समस्या का विवरण, छात्र के जीवन इतिहास का विवरण, पारिवारिक, पड़ौस मोहल्ले की स्थिति, बालक की पृष्ठभूमि, बालक की शैक्षिक प्रगति, बालक का स्वास्थ्य, चिकित्सक की रिपोर्ट अनुसार स्थिति । अंत में शिक्षा का अनुसंधानकर्ता द्वारा अपने निष्कर्ष समस्या के कारणों की पहचान तथा संभावित सुझाव देकर प्रतिवेदन तैयार किया जाना चाहिए।

व्यक्ति अध्ययन पद्धति के साथ अवलोकन, साक्षात्कार आदि सहायक विधियों का उपयोग भी शिक्षक । अनुसंधानकर्ता कर सकते हैं।

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