शारीरिक रूप से विकलांग बालक कौन हैं ? इनका वर्गीकरण कीजिए।

Estimated reading: 1 minute 72 views

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता है।

चानला का यह कथन सिद्ध करता है कि जब तक शरीर स्वस्थ नहीं होगा तब तक मनुष्य सामान्य रूप से कार्य नहीं कर सकता है। शारीरिक स्वास्थ्य व्यक्ति के कार्य व विकास को प्रभावित करता है। विकलांगिक अक्षम अथवा अपंग बालक शारीरिक रूप से विकलांग कहलाते हैं यह विकलांगता के कारण सामान्य क्रियाओं में भाग नहीं ले पाते हैं जिनके कारण उनकी उपलब्धियाँ अधूरी रह जाती हैं तथा वे अपने आपको अन्य बालकों से हीन समझने लगते है |

परिभाषाएं

(1) क्रो व क्रो– “ऐसे बालक जिनमें शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे साधारण क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है ऐसे बालक को हम शारीरिक रूप से विकलांग बालक कह सकते हैं।”

(2) ए एडलर– “एक बालक शारीरिक दोषों से ग्रस्त है उसमें हीनता की भावना उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार की भावना से बालक को थोड़ी सी संतुष्टि व प्रसन्मता मिलती है वह इसकी क्षतिपूर्ति प्रतिष्ठा, श्रेष्ठता या प्रसिद्धि प्राप्त करके करना चाहता है, इन सबसे उसको संतुष्टि प्राप्त होती है जो उसके शारीरिक दोषों के कारण है।”

शारीरिक रूप से विकलांग बालकों का वर्गीकरण

शारीरिक रूप से विकलांग बालकों में शारीरिक दोष जन्मजात या दुर्घटना के कारण हो सकते हैं। शारीरिक दोषों के कारण इन बालकों को समायोजन संबंधित समस्या का सामना करना पड़ता है शारीरिक रूप से विकलांग बालक निम्न हैं–

(i) चक्षु विकलांग बालक

(ii) श्रवण विकलांग बालक

(iii) वाक्विकलांग बालक

(iv) विरुपित विकलांग बालक

(v) अस्वस्थ विकलांग बालक

(vi) प्रमस्तिष्कीय क्षति बालक

(vii) मिरगीग्रस्त बालक

(viii) लकवाग्रस्त बालक

शारीरिक विकलांग बालकों की विशेषताएं

शारीरिक रूप से विकलांग बालकों में निम्न विशेषताएं पायी जाती हैं।

(1) जीवन में निराशा का अनुभव

(2) हीनता की भावना का अनुभव

(3) सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रुक जाते हैं।

(4) ये बालक अपनी न्यूनता की क्षतिपूर्ति प्रतिष्ठा, श्रेष्ठता प्राप्त करके करना चाहते

(5) विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

(6) संवेगात्मक परिपक्वता नहीं होती।

(7) सीखने की गति धीमी होती है परन्तु कई बार मानसिक रूप से तेज होते हैं।

(8) ऐसे बालक दूसरों से प्रेम व सहानुभूति की इच्छा रखते हैं।

(9) इन बालकों को समायोजन संबंधी मुख्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे परिवार में समायोजन, स्कूल में समायोजन, समाज में समायोजन की समस्या आदि।

(10) दूसरों को मित्र बनाने की इच्छा।

(11) सामाजिक कार्यक्रम, उत्सव में भाग लेने में शर्मिन्दगी।

(12) आत्मविश्वास का अभाव।

(13) शीघ्र कुद्ध होने की प्रवृत्ति ।

(14) घर परिवार, विद्यालय तथा समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करने की इच्छा।

Leave a Comment

CONTENTS