समावेशी विद्यालय हेतु सहारा देने वाली सेवाओं का वर्णन कीजिए।

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शासन, चिकित्सक, शिक्षक-पालक संघ, समुदाय, प्रचार माध्यम (मीडिया) पुनर्वास सुविधा, शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, कृत्रिम अंग रोपण संस्थान, तकनीकी शिक्षा उपकरण, शैक्षिक यात्राएं, अनुसरण सेवाएं, सामुदायिक सहभागिता, क्रियात्मक अनुसंधान तथा केस स्टडी आदि ऐसी सेवाएं हैं जो समावेशी शिक्षा का सहारा देने का कार्य करती हैं । प्रमुख सेवाओं का संक्षिप्त परिचय निम्नानुसार है-

(1) शासकीय नि:शक्त जन अधिनियम, योजनाएं व कार्यक्रम- भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 1996 से निःशक्त व्यक्ति (समान, अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 निर्मित किया है जिसमें समावेशी शिक्षा हेतु सहारा देने वाले निम्न तथ्य धारा 26 में निहित हैं-

(i) समुचित सरकारें और स्थानीय प्राधिकारी (क) यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक निःशक्त बालक को अठारह वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक उचित वातावरण में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त हो सके, (ख) निःशक्त विद्यार्थियों का सामान्य विद्यालयों में एकीकरण के संवर्धन का प्रयास करेंगे।

(ii) धारा 28 के अनुसार समुचित सरकारें सहायक युक्तियों, शिक्षा सहाय यंत्रों और विशेष शिक्षण सामग्री या ऐसी अन्य वस्तुओं को जो किसी निःशक्त बालक को शिक्षा में समान अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक हो डिजाइन और उनका विकास करने के लिए अनुसंधान करेगी।

(iiii) शारा 29 के अनुसार शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाएं सरकारें स्थापित करेंगी।

(iv) धारा 30 के अनुसार, निःशक्त बालकों हेतु परिवहन सुविधाएं, उनके माता-पिता हेतु वैकल्पिक वित्तीय प्रोत्साहन, पुस्तकें वर्दी व अन्य सामग्री व छात्रवृत्ति सरकारों द्वारा देय होगी।

(v) कम दृष्टि वाले बालकों के लिए शिक्षण संस्थाएं लेखकों की व्यवस्था करेगी।

(2) चिकित्सक सेवाएं- निःशक्त बालकों की विकलांगता के प्रतिशत का प्रमाण-पत्र मेडीकल बोर्ड द्वारा प्रदाय किया जाता है जो समावेशी विद्यालयों में प्रवेश हेतु सहारा देने वाला प्रमाण पत्र है। चिकित्सकों द्वारा आवश्यक जाँच के उपरांत कम दृष्टि वाले बालकों को चश्मे, रेटीना प्रत्यारोपण, कम सुनने वाले बालकों के लिए श्रवण यंत्र तथा चलने फिरने में असमर्थ बालकों को वैशाखी कैलियर, ट्रायसिकल, व्हील चेयर आदि हेतु अनुशंसित किया जाता है ।

(3) प्रचार माध्यम- टेलीविजन, रेडियो और अन्य जनसंपर्क माध्यम जनसाधारण में जागरुकता उत्पन्न करते हैं। इन माध्यमों से निःशक्तता प्रसित बालकों की शिक्षा हेतु कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।

(4) शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा विशेष तथा समावेशी विद्यालयों के शिक्षकों हेतु क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालयों (RIE) में विशेष शिक्षा का प्रशिक्षण देने हेतु व्यवस्था की गई है । इन महाविद्यालयों में बी.एड. तथा एम.एड. पाठ्यक्रम में भी विशेष शिक्षा विषय को सम्मिलित किया गया है।

(5) कृत्रिम अंग रोपण संस्थान- राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान देहरादून, राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान सिकंदराबाद,राष्ट्रीय अस्थि विकलांग संस्थान कलकत्ता अली यावर जग राष्ट्रीय श्रवण संस्थान, मुंबई तथा अन्य संस्थानों में नि:शक्त बालकों को समावेशी शिक्षा प्राप्त करने लायक बनाया जाता है।

(6) तकनीकी शैक्षिक उपकरण- कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लास, ओवरहेड प्रोजेक्ट, वर्चुअल क्लास.वीडियो,टी.वी. आदि उपकरणों का उपयोग समावेशी शिक्षा में सहारा देता है।

(7) शैक्षिक यात्राएं- समावेशी विद्यालयों के छात्रों को विभिन्न दर्शनीय तथा शिक्षाप्रद स्थानों पर यात्रा में ले जाना इन छात्रों के प्रत्यक्ष ज्ञान में वृद्धि करता है।

(8) पुनर्वास तथा अनुश्रवण सेवाएं- निःशक्त छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें व्यवसाय व रोजगार में पुनर्वासित करना तथा शिक्षा प्राप्ति के बाद उनके जीवन यापन के साधनों का अनुश्रवण करना समावेशी विद्यालय को स्वयं भविष्य हेतु अपनी शिक्षा नीति बनाने में सहायक है।

(9) क्रियात्मक अनुसंधान तथा केस स्टडी- समावेशी विद्यालय के शिक्षकों द्वारा विद्यालय की समस्याओं पर एक्शन रिसर्च’ कर हल निकालना या किसी समस्या बालक या कुसमायोजित बालक की ‘केस स्टडी’ कर कारणों को ज्ञात कर निवारण करना विद्यालय को सहारा देने वाली सेवा है।

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