उद्योग

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  • देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रथम राज्य होते हुए औद्योगिक दृष्टि से भौगोलिक कारणों से राजस्थान पिछड़ा हुआ राज्य है।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के समय उद्योग : स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राज्य में 11 वृहद् एवं मध्यम स्तर के उद्योग थे। इनमें 7 सूती वस्त्र मिलें, 2 शक्कर के कारखाने तथा 2 सीमेण्ट के कारखाने थे।
  • इस पिछडेपन का मुख्य कारण आजादी से पूर्व राजस्थान का छोटी छोटी रियासतों में बँटा होना तथा तत्कालीन शासकों द्वारा औद्योगिक विकास पर ध्यान न देना था।
  • राजस्थान में औद्योगिक विकास के लिए 1949 में उद्योग विभाग की स्थापना की गई तथा 1978 में जिला उद्योग केन्द्रो की स्थापना की गई।

राज्य में औद्योगिक विकास

  • प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56)- इस अवधि में राजस्थान में औद्योगिक कार्यक्रमों पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61)– इस काल में राज्य में बड़े उद्योगों के अन्तर्गत भरतपुर में वैगन फैक्ट्री चालू की गई।
  • तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66)– इस काल में राज्य में भाखड़ा और चम्बल परियोजना से विद्युत सुविधा प्रारम्भ हुई तथा कई सूती कपड़े की मिले स्थापित हुई।
  • चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74)– इस काल में औद्योगिक विकास हेतु 8.4 करोड़ रुपये व्यय किये गये।
  • पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-79)– इस काल में औद्योगिक एवं खनिज विकास पर 25.1 करोड़ रुपये व्यय किये गये।
  • छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)– इस काल में उद्योग एवं खनिज विकास पर 64.59 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई।
  • सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)– इस काल में मैसर्स अरावली फर्टिलाइजर्स लिमिटेड को गैस आधारित खाद संयंत्र की स्थापना गड़ेपान (कोटा) में की गई। जयपुर में  जैम स्टोन इण्डस्ट्रियल पार्क की स्थापना की गई।
  • आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)– इस काल में कोटा, जयपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर आदि राजस्थान राज्य में प्रमुख औद्योगिक केन्द्र बन गये।
  • नवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)– इस अवधि में राज्य के बड़े व मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में वृद्धि हुई।
  • दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07)– इस योजना में कृषि उद्योग व सेवाओं जैसे- सभी क्षेत्रों में विकास की वार्षिक औसत दरें समस्त भारत की औसत दरों से अधिक आंकी गई।
  • 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12)– इस योजना में खनिज एवं उद्योगों के विकास हेतु कुल राशि का 1.40% व्यय करने का प्रावधान किया गया।
  • राज्य में सर्वाधिक वृहद् एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों वाले जिले :

(i) अलवर (ii) जयपुर।

  • वे जिले जिनमें उद्योग केन्द्रित हैं अर्थात सर्वाधिक औद्योगिक जिले :

(i) जयपुर (ii) पाली।

  • कम औद्योगिक जिले : (i) बारां में 3 बड़े उद्योग (ii) झालावाड- 3 (iii) जालौर- 3 (iv) जैसलमेर- 4 (v) चूरू- 9 (vi) धौलपुर- 9।

सूतीवस्त्र उद्योग :

  • यह आधुनिक संगठित उद्योगों में राज्य का परम्परागत व प्राचीनतम उद्योग है। राज्य की पहली सूती वस्त्र मिल कृष्णा मिल्स लिमिटेड है, जिसकी स्थापना 1889 ई. में सेठ दामोदर राठी ने ब्यावर में की थी।
  • राज्य में सर्वाधिक सूती वस्त्र मिलें भीलवाडा जिले में है।
  • राज्य में सार्वजनिक  क्षेत्र में सूती वस्त्र मिलें ब्यावर (अजमेर) तथा विजयनगर में स्थापित की गई हैं।सहकारी क्षेत्र में गुलाबपुरा  (भीलवाड़ा), गंगापुर (भीलवाड़ा) तथा हनुमानगढ़ में सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गई हैं। भीलवाड़ा को ‘राजस्थान का मेनचेस्टर’ या वस्त्र नगरी कहा जाता है।
  • स्पिनफैड (राजस्थान राज्य सहकारी स्पिनिंग व जिनिंग मिल्स संघ लिमिटेड) की स्थापना :- 1 अप्रैल, 1993 को।

राजस्थान की प्रमुख सूती वस्त्र मिलें

मिलेंस्थापनास्थान
एडवर्ड मिल्स लिमिटेड1906ब्यावर
श्री महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड1925ब्यावर
मेवाड़ टेक्सटाइल्स मिल्स1938भीलवाड़ा
महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स लिमिटेड1942पाली
सार्दुल टेक्सटाइल्स लिमिटेड1946श्रीगंगानगर
राजस्थान स्पिनिंग एण्ड वीविंग मिल्स1960भीलवाड़ा
आदित्य मिल्स किशनगढ़
उदयपुर कॉटन मिल्स1961उदयपुर
राजस्थान टेक्सटाइल्स मिल्स1968भवानीमण्डी

चीनी उद्योग :

  • देश का दूसरा बडा कृषि आधारित उद्योग लेकिन राजस्थान में चीनी का उत्पादन बहुत कम मात्रा में होता है।
  • राज्य के गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर गंगानगर जिला तथा द्वितीय स्थान बूँदी जिला है।
  • राज्य में चीनी की तीन (एक निजी क्षेत्र, में एक सार्वजनिक क्षेत्र में तथा एक सहकारी क्षेत्र में) वृहद् इकाइयाँ हैः

(i) दि मेवाड शुगर मिल्स लिमिटेड भोपाल सागर (चितौडगढ 1932) : यह निजी क्षेत्र में है तथा राज्य की प्राचीनतम चीनी मिल है।

(ii) दि गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड श्री गंगानगर (1956) : यह सार्वजनिक क्षेत्र में है तथा इसमें उत्पादन सन् 1945 से आरम्भ हुआ था। उस समय यह बीकानेर इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के नाम से स्थापित कि गई थी यहाँ गन्ना एवं चुकन्दर दोनों से चीनी बनाई जाती है। इसके अधीन एक शराब और स्प्रिट बनाने का कारखाना तथा धौलपुर की ग्लास फैक्ट्री भी कार्यरत है।

(iii) श्री केशोरायपाटन सहकारी शुगर मिल्स लि., केशोरायपाटन (बूँदी) 1965 यह सहकारी क्षेत्र में है। इसका एक उद्देश्य आस-पास के क्षेत्रों में गन्ने के उत्पादन को बढावा देना भी है।

ऊनी वस्त्र उद्योग

  • राज्य में ऊन का उत्पादन देश  के कुल ऊन का लगभग 40 प्रतिशत होता है।
  • राजस्थान में ऊन उद्योग से संबंधित संस्थाएँ एवं फैक्ट्रियाँ निम्न हैं-

1. स्टेट वूलन मिल- बीकानेर

2. वर्स्टेड स्पिनिंग मिल्स- चूरू तथा लाडनूँ (नागौर)

3. जोधपुर ऊन फैक्ट्री- जोधपुर

  • एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी- बीकानेर है।

कागज उद्योग

  • राज्य के उदयपुर, बाँसवाड़ा तथा चित्तौड़गढ़ जिलों में बाँस की प्रचुरता के कारण कागज उद्योग पनप सकता है।
  • राज्य में कागज बनाने का पहला कारखाना सांगानेर (जयपुर) में महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा लगाया गया था।
  • घोसुण्डा (चित्तौड़गढ़) तथा साँगानेर (जयपुर) में हाथ से कागज बनाया जाता है।
  • ‘कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज विकास संस्थान’ साँगानेर जयपुर में स्थित है।

काँच उद्योग

  • राज्य के जयपुर, बीकानेर, बूँदी तथा धौलपुर आदि जिलों में उत्तम श्रेणी के काँच, बालू के पत्थर पाए जाते है।
  • राज्य में काँच उद्योग मुख्यतः धौलपुर में केन्द्रित है क्योंकि यहाँ श्रेष्ठ किस्म की बालू तथा आगरा से कुशल कारीगरों की पर्याप्त उपलब्धता है।
  • नया कारखाना कहरानी (अलवर) में लगाया जा रहा है।
  • काँच उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में मुख्यतः क्वार्ट्ज एवं काँच मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • राज्य में धौलपुर ग्लास वर्क्स की स्थापना निजी क्षेत्र के काँच की बोतलें बनाने हेतु की गई।

(i) दी हाई टैक प्रिसिजन ग्लास वर्क्स, धौलपुर

(ii) धौलपुर ग्लास वर्क्स, धौलपुर

(iii) सैम्कोर ग्लासेज लि., नया नोहरा, कोटा (टी.वी. ग्लास का उत्पादन)

(iv) सेंट गोबेन फ्रांसीसी कम्पनी का नया कारखाना कहरानी, भिवाड़ी में खोला गया।

 एशिया का सबसे बड़ा फ्लोट ग्लास संयंत्र :- भिवाड़ी (अलवर) में।

सीमेन्ट उद्योग :

  • सीमेन्ट उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में अग्रणी स्थान है। देश में सर्वप्रथम 1904 में चैन्नई में सीमेन्ट बनाने का प्रयास किया गया था।
  • 1915 ई. में राजस्थान में लाखेरी (बून्दी) में क्लीक निकसन कम्पनी द्वारा सर्वप्रथम सीमेन्ट सेंटर स्थापित किया गया। 1917 में इस कारखाने से सीमेन्ट का उत्पादन प्रारम्भ हुआ।
  • सर्वाधिक उत्पादन की दृष्टि से जे.के. सीमेन्ट (निम्बाहेड़ा) तथा कम उत्पादन की दृष्टि से श्रीराम सीमेन्ट (कोटा) है।
  • राजस्थान में सफेद सीमेन्ट का उत्पादन गोटन (नागौर) तथा जोधपुर के खारिया खंगार में होता है।
  • चित्तौड़गढ़ में भांवलिया में फ्रांसीसी कम्पनी लाफार्जे ने नया सीमेन्ट कारखाना शुरू किया गया है।
  • वर्तमान में राज्य में सीमेंट उद्योग के प्रमुख केन्द्र लाखेरी (बूँदी), निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़), ब्यावर (अजमेर), रास एवं राबड़ियावास (पाली), मोडक एवं श्रीरामनगर(कोटा), बनास एवं पिण्डवाड़ा (सिरोही), गोटन (नागौर), खारिया खंगार (जोधपुर) एवं उदयपुर हैं।
  • सर्वाधिक उत्पादन :- चित्तौड़गढ़ जिले में।
  • सीमेन्ट का कच्चा माल :- जिप्सम व लाइम स्टोन।

राज्य के अन्य प्रमुख उद्योग :

1. उर्वरक :

(a) यूरिया : 1. कोटा (चम्बल फर्टीलाइजर, गढ़ेपान) 2. श्रीराम, कोटा, 3. नेशनल केमिकल एण्ड फर्टिलाइजर्स लि., कपासन चित्तौड़गढ़

(b) सिंगल सुपर फास्फेट : (i) उदयपुर (रामा, मधुबन, लिबर्टी), (ii) श्रीगंगानगर, (iii) कोटा (श्रीराम फर्टीलाइजर)। (c) डी.ए.पी. : कपासन, चितौड।

2. रसायन उद्योग :

(a) सल्फ्यूरिक एसिड (गंधक का तेजाब) : (i) अलवर, (ii) सलादीपुरा (सीकर), (iii) खेतडी (झुंझुनूँ) (iv) चंदेरिया (चितौडगढ) (v) देवारी (उदयपुर)।

 (vi) राजपुरा दरीबा (राजसमंद)

(b) कास्टिक सोडा:(i) कोटा।
(c) पी.वी.सी. :(i) जयपुर (ii) कोटा।
(d) कीटनाशक :(i) जयपुर (ii) कोटा (iii) उदयपुर (iv) श्रीगंगानगर।
(e) गैसे (उद्योग में काम आने वाली कार्बनिक एवं अन्य गैसें)(i) जयपुर (ii) कोटा (iii) उदयपुर।
(f) सोडियम सल्फेट :राजस्थान स्टेट कैमिकल्स वर्क्स, डीडवाना।
(g) सोडियम सल्फाइड :राजस्थान स्टेट कैमिकल्स वर्क्स, डीडवाना।

3. नमक :(a) सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने : (i) साँभर (ii) डीडवाना, (iii) पचपदरा।

4. संगमरमर : (i) राजसमंद सर्वाधिक इकाइयॉ।

5. ग्रेनाइट : (i) जालौर (ii) सिरोही जोधपुर में बहुराष्ट्रीय कम्पनी पैडिनी ग्रेनाइट्स (इटली) ने अपना संयन्त्र स्थापित किया है।

6. ऊन : (i) भारत मिल्स, बीकानेर, (ii) फ्रैण्डस् मिल्स, बीकानेर (iii) राजस्थान वूलन मिल्स, बीकानेर।

7. वनस्पति तेल : (i) भरतपुर (इंजन मार्का)। 

8. वनस्पति घी : (i) भीलवाड़ा  (ii) जयपुर (महाराजा, आमेर) (iii) टोंक (केसरी) (राज्य में 9 कारखाने हैं)। राजस्थान में वनस्पति घी उद्योग का प्रथम कारखाना भीलवाड़ा (1964) में स्थापित किया गया। प्रमुख केन्द्र – जयपुर, चित्तौड़, उदयपुर, कोटा, गंगानगर।

9. जिंक स्मैल्टर : (i) देवारी (उदयपुर) (ii) चंदेरिया (चितौडगढ़) (iii) कपासन (चितौडगढ़)।

10. विस्फोटक : (i) राजस्थान एक्सप्लोजिव, धौलपुर, (ii) मोदी एल्केलाइज, अलवर।

11. एल्कोहल : (i) श्रीगंगानगर, (ii) उदयपुर (iii) कोटा।

12. कृत्रिम रेशा : (i) अलवर, (ii) कोटा, (iii) उदयपुर।

विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट औद्योगिक पार्क RIICO के द्वारा विकसित निम्न है-

1. प्रथम EPIP (निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क), सीतापुरा, जयपुर (1997) यहॉ एक अर्थस्टेशन व साफ्टवेयर काम्प्लेक्स स्थापित किया जा रहा है। द्वितीय बोरानाडा (जोधपुर) व तृतीय नीमराणा (अलवर) 2004 में स्थापित किया जा रहा है। सीतापुरा जयपुर में इन्फॉरमेशन टैक्नोलोजी पार्क भी है।

2. सॉफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्क, कनकपुरा, जयपुर।

3. हार्ड वेयर टेक्नोलोजी पार्क, कूकस, जयपुर।

4. जेम्स एण्ड गोल्ड ज्वैलरी कॉम्प्लेक्स, EPIP सीतापुरा, जयपुर।

5. लेजर सिटी कॉम्पलेक्स, अचरोल, जयपुर।

6. C-DOS (Centre for Development of Stones) – सीतापुरा, जयपुर।

7. लैदर कॉम्पलेक्स, मानपुरा माचेड़ी (जयपुर)।

8. एपैरल पार्क : महल (जगतपुरा-जयपुर) यह वस्त्र निर्यात को प्रोत्साहन देता है।

9. बायो टैक्नॉलाजी पार्क सीतापुरा जयपुर, बोरानाडा (जोधपुर) चौपंकी (भिवाडी अलवर)

10. होजरी कॉम्पलेक्स, भिवाडी, अलवर।

11. फ्लोरीकल्चर कॉम्पलैक्स खुशखेडा (अलवर)

12. ऑटो एनसिलअरी कॉम्पलेक्स, घाटेल (भिवाडी-अलवर)

13. टैक्सटाइल सिटी, भीलवाडा।

14. वूल कॉम्पलेक्स, गोहना (ब्यावर) और बीकानेर, नरबदखेड़ा (ब्यावर)।

15. एग्रो इण्डस्ट्रीयल कॉम्पलेक्स, इन्दिरा गांधी नहर क्षेत्र (बीकानेर, जैसलमेर)

16. सिरेमिक कॉम्पलेक्स, खारा, बीकानेर।

17. माइनर मिनरल कॉम्पलेक्स, करौली, सवाई माधोपुर, घोइन्दा (राजसमन्द), मित्रपुरा (दौसा)।

18. ऑटो एनसिलअरी कॉम्पलेक्स, घाटेल (भिवाडी)।

19. मार्बल मंडी किशनगढ अजमेर।

20. साइबर पार्क जोधपुर

21. भिवाडी, औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीडा) भिवाडी।

22. ग्रामीण कृषि क्षेत्र विकास एजेंसी (रूडा)

23. जापानी कम्पनी होण्डा मोटरसाइकिल एवं स्कूटर्स इंडिया का कारखाना खुशखेड़ा अलवर।

24. मल्टी मॉडल लोजेस्टिक पार्क, खाटूवास* (प्रस्तावित)।

25. इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल पार्क –

A. जयपुर टैक्स बीविंग पार्क – सिलोरा, किशनगढ़, अजमेर

B. हाईटैक टैक्सटाइल पार्क – सिलोरा, किशनगढ़, अजमेर

C. राजस्थान टैक्सटाइल पार्क – हस्तेड़ा, चौमू, जयपुर

D. नेक्स्टजेन टैक्सटाइल पार्क – गुंडोज, पाली

26. स्टोन पार्क – मंडोर (जोधपुर), मंडाना (कोटा), सिकन्दरा (दौसा), विश्नोदा (धौलपुर) में स्थापित।

ग्रामीण गैर कृषि विकास अभिकरण, जयपुर (Rural Un-Agriculture Development Agency – RUDA) :

  • ग्रामीण क्षेत्रों में गैर कृषि आजीविका के साधनों का विकास करने हेतु रूडा की स्थापना नवम्बर, 1995 में की गई। रूडा लघु उद्यमों के कलस्टर के विकास द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आजीविका के साधन विकासित करने का कार्य करती है।

कार्य –

  • ग्रामीण दस्तकारों को संगठित व प्रशिक्षित करना।
  • ग्रामीण हस्तशिल्प का तकनीकी उत्थान करना।
  • ग्रामीण लघु उद्यम उत्पादों का विकास तथा आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइनों का विकास।
  • ग्रामीण उद्योगों की विपणन व्यवस्था सुनिश्चित करना तथा विदेशों में प्रचार हेतु नेटवर्क स्थापित करना।
  • ग्रामीण लघु उद्यमों के विकास हेतु बैंक ऋण व अन्य लाभप्रद व्यवस्थाएँ सुनिश्चत करना।

उद्योग विभाग

  • राज्य में औद्योगिक विकास, हस्तकला के विकास एवं औद्योगिक गतिविधियों के संचालन में आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने, उद्योगों को सहायता तथा सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु उद्योग  आयुक्तालय है।
  • वर्तमान में उद्यमियों को इनपुट तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु उद्योग विभाग के अधीन 36 जिला केन्द्र एवं 8 उप केन्द्र कार्यरत हैं।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयाँ (एम.एस.एम.ई)

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयों की राज्य के औद्योगिक  उत्पादन, निर्यात, रोजगार के आधार पर निर्माण की दिशा में, अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों  की उद्योग आधार ज्ञापन अधिसूचना अधिनियम, 2015 राजस्थान राज्य में लागू की गई है और ऑनलाईन पंजीयन  18 सिंतबर 2015 से आरंभ किया गया है। 
  • वर्ष 2016-17 में 15,959 इकाईयों के पंजीयन के लक्ष्य की तुलना में दिसबंबर 2016 तक 60,960 औद्योगिक ईकाइयों का पंजीयन किया गया।
  • इन इकाईयों में रु. 10,332.88 करोड़ के निवेश से इस अवधि में 3,82,366 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पी.एम.ई.जी.पी) 

  • इस योजना का उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक ग्रामोद्योग सेवा एवं व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर प्रदान करना है।
  • वर्ष 2016-17 में दिसंबर, 2016 तक 871 आवेदन स्वीकृत किए गए तथा 389 व्यक्तियों को उद्यम शुरु करने के लिए ऋण स्वीकृत किए गए।

भामाशाह रोजगार सृजन योजना

  • शिक्षित बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति एवं दिव्यांग का स्वयं का उद्यम प्रांरभ करने हेतु 6 से 7 प्रतिशत  पर बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने हेतु नई योजना ‘भामाशाह रोजगार सृजन योजना” दिनांक 13 दिसम्बर 2015 से शुरु कर दी गई है।

रिसर्जेन्ट राजस्थान सम्मेलन (Resurgent Rajasthan Summit)-

  • राजस्थान में निजी से निवेशकों को आकर्षित करने तथा उन्हें राज्य में निवेश करने हेतु तैयार करने के लिए ‘रिसर्जेन्ट राजस्थान साझीदारी सम्मेलन-2015’ (Resurgent Rajasthan Partnership Summit-2015) का आयोजन 19-20 नवम्बर, 2015 को जयपुर एक्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर, सीतापुरा, जयपुर में किया गया।
  • इस सम्मेलन की नोडल एंजेसी निवेश संवर्द्धन ब्यूरो (BIP), राजस्थान था।
  • इसका राष्ट्रीय साझीदार (National Partner)- भारतीय उद्योग संघ (CIT-Confedertation of Indian Industry), ज्ञान साझीदार (Knowledge Partner) -EY व मीडिया पार्टनर-एडेलमेन (Edelman) था।
  • इसमें महत्त्वपूर्ण काँफ्रेस, क्षेत्र विशेष से संबंधित वार्ताएँ व विचार-विमर्श, एक एमएसमई कॉन्क्लेव तथा वन-टू-वन मीटिंग्स का आयोजन किया गया।
  • इस सम्मेलन के माध्यम से विश्वभर के प्रतिनिधि निवेशक, राज्य के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी तथा स्थानीय व्यावसायिक समुदाय राजस्थान में निवेश वातावरण व अवसरों पर विचार-विमर्श किया।
  • इस सम्मेलन में 35 देशों की कम्पनियों व 7 देशों के राजदूत समेत 5500 प्रतिभागियों ने भाग लिया।     
  • रिसर्जेन्ट राजस्थान सम्मेलन में इटली, सिंगापुर, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया व जापान ग्लोबल पाटर्नर थे।
  • एम.ओ.यू. के क्रियान्वयन तथा निगरानी के लिए मुख्यमंत्री  सूचना प्रणाली (सी.एम.आई.एस) एक ऑनलाईन निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है।
  • दिसंबर 2016 तक राशि रु. 4,897 करोड़ की 31 परियोजनाएं क्रियान्वित हो चुकी है एवं विभिन्न क्षेत्रों में राशि रु. 65,358 करोड़ की 87 परियोजनाएँ प्रक्रियाधीन है।
  • इस सम्मेलन में 20 नवम्बर, 2015 को MSME Policy-2015 लांच की गई। राजस्थान में MSME के मुख्य क्षेत्र जेम्स एंड ज्वैलरी, टेक्टाइल व गारमेन्ट्स, हैण्डीक्राफ्ट्स, ऑटोमोबाइल, कारपेट, खनिज व स्टोन इण्डस्ट्रीज तथा कृषि हैं। 
  • इस सम्मेलन में निवेशकों तक पहँचने के लिए  किए गए सक्रिय प्रयासों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के 3.14 लाख करोड़ के 311 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए। प्रमुख समझौते निम्न हैं-

1. दक्षिण ऑस्ट्रेलिया ने पर्यावरण प्रबंधन, ऊर्जा, पर्यटन एवं कृषि व्यवसय को समर्थन देने हेतु ‘Sister State’ के रूप में समझौता।

2. दक्षिणी कोरियन फर्म्स द्वारा इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में निवेश।

राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोजन निगम लिमिटेड (रीको)

  • राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोजन निगम लिमिटेड (रीको), राज्य के औद्योगिक विकास को गति देने वाली शीर्ष संस्था है। रीको का मुख्य उद्देश्य राजस्थान को योजनाबद्ध तीव्र औद्योगिक विकास करना है।
  • रीको की स्थापना :- जनवरी 1980 में।
  • कार्य :- औद्योगिक व्यापार एवं विनियोजन संवर्द्धन का कार्य। 
  • मर्चेन्ट बैंकर के रूप में कार्य करना।
  • रीको राज्य में औद्योगिक विकास हेतु लघु, मध्यम एंव वृहद् श्रेणी की इकाईयों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • राजस्थान में यह लघु, मध्यम, एवं वृहद् श्रेणी की इकाईयें को छूट एवं लाभ वृद्धि भी प्रदान करता है। साथ ही उद्यमियों को तकनीकी तथा प्रबंधकीय सेवाएं भी प्रदान करता है।

रीको द्वारा विकसित विशेष पार्क

जापानी पार्क

  • रीको द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जापानी संस्थान जेट्रो के साथ  एम.ओ.यू हस्ताक्षरित किया गया है, जिसके तहत जेट्रो के सहयोग से राजस्थान के अलवर जिले के नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में जापानी इकाईयों स्थापित की जानी प्रस्तावित है। विभिन्न बहुराष्ट्रीय जापानी कंपनियों यथा- निसीन, मित्सुई, डाइकिन, मित्सुबिशी, एवं डाइनिची कलर आदि ने इस औद्योगिक क्षेत्र में इकाई स्थापित  करने  के लिए पहले जमीन आवंटित कर दी गई है।
  • आवंटित भूमि पर लगभग रु. 4,226 करोड़ के निवेश प्रस्तावित हैं व लगभग 9,600 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर  उपलब्ध  हो सकेंगे।

कोरियन निवेश क्षेत्र

  • रीको ने कोरिया ट्रेड इनवेस्टमेंट प्रमोशन एजेन्सी के साथ एक एम.ओ.यू हस्ताक्षरित किया है। इस एम.ओ.यू के अनुसरण में घिलोठ औद्योगिक क्षेत्र, अलवर में एक कोरियन निवेश क्षेत्र स्थापित किया गया है।

औद्योगिक विकास हेतु किये गए प्रयास-

  • महिन्द्रा गुप, रीको के साथ मिलकर जयपुर में विशेष आर्थिक जोन (सेज) की स्थापना कर रहा है, जिसमें रु. 10,000 करोड़ का निवेश किया जाना है।
  • इस विशेष आर्थिक जोन में विभिन्न क्षेत्रों की औद्योगिक इकाईयों के लिए जोन स्थापित किए जाएंगे। वर्तमान में राज्य में आई.टी., इंजीनियरिंग, हस्तशिल्प सेज स्थापित किए जा चुके है।
  • जेम्स एंड ज्वेलरी सेज और आई.टी (द्वितीय चरण) सेज भी भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए है।
  • रीको द्वारा जेम्स एंड ज्वेलरी आधारित दो विशेष आर्थिक क्षेत्र सीतापुरा, जयपुर  में स्थापित किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2016-17 में दिसंबर, 2016 तक रु. 698.11 करोड़ का निर्यात हुआ है एवं लगभग 11,000 व्यक्तियों को रोजगार सृजित हुआ है।
  • राजस्थान में सिरेमिक एवं कांच उद्योग में उपयोग में आने वाला कच्चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अतः इस उद्योग को त्वरित गति से विकसित करने की दृष्टि कसे रीको द्वारा नीमराना के पास घिलोठ ग्लास एवं सिरेमिक इकाईयों के लिए भूमि आवंटित की गई है।
  • रीको द्वारा अजमेर जिले के सथाना में  सिरेमिक  एवं ग्लास  हेतु विशेष औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गई है।
  • “वस्त्र-अन्तर्राष्ट्रीय स्तरीय टेक्सटाइल उद्योग मेला 2016“ (वस्त्र-2016) रीको द्वारा फिक्की के सहयोग से जयपुर में 20-23 अक्टूबर 2016 तक आयोजित किया गया।

राजस्थान लघु उद्योग निगम लिमिटेड (राजसीको)

  • राजस्थान लघु उद्योग निगम लिमिटेड की स्थापना राज्य की लघु औद्योगिक इकाईयों एवं हस्तशिल्पियों को सहायता, प्रोत्साहन देने एवं उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के समुचित विपणन की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से जून 1961 को की गयी।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य लाभ को अधिकाधिक बढ़ाने हेतु समय के परिवर्तन के साथ अपने उत्पादों में परिवर्तन करना, नये-नये डिजाइन एवं तकनीक का सम्मिश्रण करना, व्यवसायिक मांग के अनुकूल उत्पादों को बाजार में उपलब्ध करवाना एवं इसके साथ ही कल्याणकारी संस्थान होने के नाते हस्तशिल्पियों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए उनके कल्याण हेतु सीधा लाभ देने वाले कार्यक्रमों को संचालित करना है।
  • निगम द्वारा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10,000 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है।
  • निगम राजस्थान के निर्यातकों/आयातकों को शुष्क बंदरगाह (इनलैण्ड कन्टेनर डिपो) के माध्यम  से, जो कि जयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा व भिवाड़ी में स्थित है, निर्यात की बुनियादी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
  • वर्तमान में केवल आयात/निर्यात की सुविधाएं इनलैण्ड कंटेनर डिपो (आई.सी.डी) जोधपुर एवं जयपुर के माध्यम से ही प्रदान की जा रही है।
  • राजसिको का वर्ष 2016 में टर्न ओवर (दिसंबर 2016 तक) – 68.94 करोड़ रहा है।
  • यह ट्राइबल प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रहा है।
  • राजस्थली एम्पोरियम का संचालन।
  • गलीचा प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन।

राजस्थान वित्त निगम (आर.एफ.सी)

  • राजस्थान वित्त निगम की स्थापना राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, 1951 के अन्तर्गत वर्ष 1955 में की गई।
  • वित्त निगम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राज्य में नवीन उद्योगों की स्थापना, विद्यमान उद्योगों के विस्तारीकरण एवं नवीनीकरण हेतु रू. 20 करोड़ तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
  • यह औद्योगिक इकाइयों को ऋण स्वीकृत करने हेतु केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, IDBI व IFCI के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
  • RFC द्वारा संचालित स्कीम :-

1. फलेक्सी ऋण योजना

 2. टॉप-अप ऋण योजना

 3. महिला उद्यमनिधि योजना

 4. सेमफेक्स योजना

 5. शिल्पबाड़ी योजना (1987-88)

 6. “सिल्वर कार्ड’ योजना

 7. गोल्ड कार्ड स्कीम

 8. प्लेटिनम कार्ड स्कीम

युवा प्रोत्साहन योजना –

  • राज्य सरकार ने युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा  उद्यमिता प्रोत्साहन योजना (वाई.यू.पी.वाई.) प्रांरभ की गई।
  • योजना को अधिक व्यवहारिक एवं  व्यापक  बनाने हेतु  राज्य सरकार  ने कुछ संशोधन करते  हुए योजनान्तर्गत 45 वर्ष की आयु तक एवं आई.टी.आई/डिप्लोमा/स्नातक योग्यताधारी पात्र उद्यमियों को रु. 5 करोड़ तक का ऋण आसान शर्त़ों पर दिया जा रहा है।
  • राज्य में एम.एस.एम.ई को बढ़ावा  देने हेतु निगम ने अपनी ब्याज दरों में कटौती  की है। वर्तमान में एस.एस.एम.ई की ब्याज दर 11 प्रतिशत है, जो 02 जनवरी, 2017 से प्रभावी है।
  • राजस्थान वित्त निगम ने एक योजना प्रांरभ की है, जिसके अन्तर्गत उद्योग, होटल एवं अस्पताल के लिए रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्र आवंटित भूखंड पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • साथ ही राजस्थान में सोलर ऊर्जा की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता को देखते हुए एक योजना प्रांरभ की है, जिसके अन्तर्गत राज्य में स्थापित होने वाले सोलर ऊर्जा से संबंधित उद्योगों पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • निगम ने उद्यमियो को राहत देते हुए प्रक्रिया  शुल्क में 0.50 प्रतिशत की कटौती की गई है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आधार वर्ष की तुलना में अर्थव्यवस्था में सामान्य स्तर पर हुई औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि या कमी को दर्शाता है।
  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक राज्य में औद्योगिक प्रगति का मुख्य सूचक है, जो मासिक आधार पर संकलित किया जाता है।
  • मौजूदा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक श्रृंखला का आधार वर्ष 2011-12 है, जो कि 294 वस्तुओं या उत्पाद समूह पर आधारित यह सूचकांक तीन प्रमुख समूहों यथा-विनिर्माण, खनन एवं विद्युत के क्षेत्र में तैयार किए जा रहे हैं।

खादी एवं ग्रामोद्योग

  • राज्य में खादी तथा ग्रामोद्योग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार  उपलब्ध कराने में राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
  • खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के दस्तकारों को रोजगार प्रदान कर उच्च गुणवत्ता युक्त वस्तुओं के उत्पादन में सहयोग करने, कारीगरों को प्रशिक्षण दिलाने एंव स्वदेशी उत्पाद के उपयोग करने की भावना जागृत करने हेतु की गई थी।

प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (पी.एम.ई.जी.पी.)

  • प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार के अन्तर्गत खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 133 ग्रामोद्योग इकाईयाँ स्वीकृत हुई एवं दिसंबर, 2016 तक 782 व्यक्तियों को अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर सुश्री बी.बी. रसैल (ढाका बांग्लादेश) को राज्य सरकार की सहमति से खादी में गुणवत्ता सुधार हेतु फैसिलेटर कम कंसलटेन्ट के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • कंसल्टेंट के निरीक्षण में फैशन-शो के लिए नए डिजाइन तैयार किए जा चुके हैं।
  • फैशन-शो दिनांक 1-3 दिसंबर, 2016 तक डिग्गी पैलेस, जयपुर में आयोजित किया गया ।
  • राष्ट्रीय फैशन तकनीकी संस्थान (NIFT), जोधपुर के माध्यम से अब तक 50 खादी संस्थाओं व व्यक्तिगत इकाईयों को कौशल विकास में प्रशिक्षण दिया गया है।

राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड (आर.एस.एम.एम.एल)

  • राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड राज्य का सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख उपक्रम है।
  • यह मुख्य रूप से राज्य के खनिज एवं औद्योगिक खनिजों के विपणन (Marketing) के कार्य़ों में कार्यरत है।
  • कंपनी का मुख्य उद्देश्य लागत प्रभावी तकनीक का प्रयोग करते हुए खनिज संपदा का आधुनिक तकनीकों से दोहन करना है।
  • प्रारंभ से ही आर.एस.एम.एम.एल द्वारा खनिज क्षेत्र में खनिजों के अन्वेषण/खुदाई के लिए नई दिशा  में प्रयास किए गए।
  • वित्तीय वर्ष 2016-17 में कंपनी द्वारा रु. 1,24,629.02 लाख के सकल राजस्व तथा रु. 23,648.06 लाख के कर पूर्व लाभ अर्जित करने का अनुमान है।

ऑयल एवं गैस क्षेत्र

  • राज्य में तेल एवं प्राकृतिक गैस के दोहन तथा विकास के लिए पेट्रोलियम निदेशालय की स्थापना की गई है।
  • वर्ष 2016-17 में दिसम्बर,2016 तक इस क्षेत्र में अग्रलिखित गतिविधियां संचालित की गई।
  • वित्तीय वर्ष 2016-17 में 30 तेल व प्राकृतिक गैस के कुँओं के लक्ष्य की तुलना में दिसम्बर, 2016 तक 33 कुँओं को खोदा जा चुका है।
  • चालू वित्तीय वर्ष में बाडमेर-सांचोर बेसिन से कुल 61.17 लाख मैटिक टन खनिज तेल का उत्पादन केयर्न एनर्जी इण्डिया द्वारा तथा जैसलमेर एवं बाड़मेर-सांचौर बेसिन से लगभग 480.47 मैट्रिक टन प्राकृतिक गैस का उत्पादन फोकस एनर्जी ओ.एन.जी.सी.एल. एवं ऑयल इण्डिया लिमिटेड द्वारा किया गया ।
  • बाड़मेर-सांचोर बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से खनिज तेल का व्यावसायिक उत्पादन 29 अगस्त, 2009 से आरम्भ हो गया है। मंगला, भाग्यम, ऐश्वर्या, सरस्वती एवं रागेश्वरी क्षेत्र से लगभग 1,65,000-1,70,000 बैरल कच्चे तेल का प्रतिदिन उत्पादन किया जा रहा है।
  • भारी तेल के दोहन हेतु बीकानेर-नागौर बेसिन में पूनम क्षेत्र में तेल उत्पादन की संभावना को स्थापित करने हेतु 3 और कुँओं की खुदाई की योजना ऑयल इण्डिया लिमिटेड द्वारा बनाई गई है।
  • राजस्थान में अप-स्ट्रीम, मिड स्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम क्षेत्रों में निवेश की प्रबल सम्भावनाएं है। राजस्थान में 4 पेट्रोलिफेरस बेसिन – जैसलमेर बेसिन, बाड़मेर-सांचोर बेसिन, बीकानेर-नागौर  बेसिन, विन्द्यान बेसिन को गैस की खोज के लिए चिन्हित किया गया है।

श्रम

  • श्रम विभाग उद्योगों में शांत सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बनाए रखने एवं श्रमिकों को समय से वेतन एवं भत्ते सुनिश्चित करने, उनके हितों की रक्षा करने तथा श्रम कानूनों का प्रभावपूर्ण क्रियान्वयन करने के लिए क्रियाशील है।
  • राज्य सरकार द्वारा दिनांक 05 जुलाई, 2016 को अधिसूचना जारी कर 01 अप्रैल, 2016  से न्यूनतम मजदूरी की दरों में संशोधन कर अकुशल, अर्द्ध कुशल, कुशल एवं उच्च कुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी क्रमशः 201, 221, एवं 271 रूपए प्रतिदिन कर दी गई है।

राजस्थान में उद्योगों को बढावा देने हेतु सरकार

द्वारा किये जा रहे प्रयास

  • रिसर्जेन्ट राजस्थान सम्मेलन: राजस्थान में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए जयपुर में 19-20 नवम्बर, 2015 को आयोजित किया गया।
  • इसका उद्देश्य राज्य में निवेश प्रोत्साहित करना, बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करना, राज्य के सामाजिक व आर्थिक विकास को गति देना एवं लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना था।
  • ई-गवर्नेस व आईटी नीति, 2015: मुख्यमंत्री ने नवीन सूचना प्रौद्योगिकी नीति 5 नवम्बर, 2015 को जारी की।
  • राज्य के छात्रो और युवाओं, निवेशकों और स्टार्ट-अप समुदाय को राजस्थान में प्रारम्भिक चरण Startups के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए दो दिवसीय राजस्थान स्टार्टअप उत्सव 9-10 अक्टूबर, 2015 को जयपुर में आयोजित किया गया।
  • राजस्थान सरकार ने 9 अक्टूबर, 2015 को प्रदेश की स्टार्टअप पॉलिसी लांच की। इस पॉलिसी के माध्यम से ऐसे उद्यमी युवाओं को सहायता प्रदान की जाएगी जिनके पास लीक से हटकर अपना नया बिजनस प्लान है और वे स्वयं का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।
  • केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश एवं गुजरात के बाद ऐसी पॉलिसी जारी करने वाला राजस्थान देश का पाँचवाँ राज्य एवं उत्तर भारत का पहला राज्य है।
  • राज्य में दक्ष कामगारों की उपलब्धता हेतु रीको द्वारा भिवाड़ी में स्किल डवलपमेंट सेंटर स्थापित किया गया हैं जिसके संचालन के लिए एनटीटीएफ, बैंगलूरू से दिनांक 5 नवम्बर, 2015 को एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है।
  • एमएसएमई नीति :-20 नवम्बर 2015 को राज्य की नई लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग नीति-2015 जारी की गई है। इस नीति में नये उद्योगों के लिए 6.5 से 7 प्रतिशत की दर पर ऋण सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। इस नीति के साथ राजस्थान सिक माइक्रो एंड स्माल एंटरप्राइजेज (रिवाइवल एण्ड रिहेबिलिटेशन) स्कीम-2015 को भी जोड़ा गया।
  • राजस्थान जैव प्रौद्योगिकी नीति, 2015:- जैव प्रोद्योगिकी (बायो टेक्नोलॉजी) क्षेत्र में  विकास की प्रबल सम्भावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र में निवेश व रोजगार सृजन के लिए जैव प्रौद्योगिकी नीति 2015 जारी की गई है।
  • वस्त्र-2015: यह अंतर्राष्ट्रीय टैक्सटाइल मेला 28-30 सितम्बर, 2015 तक सीतापुरा, जयपुर में आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केन्द्रीय कपड़ा राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने मेले का उद्घाटन किया।
  • स्टोनमार्ट-2015 : 9वाँ इंडिया स्टोनमार्ट 2-5 फरवरी, 2017 जयपुर (राजस्थान) में आयोजित हुआ।
  • यह पत्थर से संबंधित उद्योगों की सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रदशर्नी है जो पत्थर उद्योग के घरेलू व विदेशी सभी उत्पादकों, निर्यातकों, बिल्डर्स, आर्किटेक्टर्स व विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करता है।
  • स्टोना, 2016: फैडरेशन ऑफ इंडिया ग्रेनाइट एंड स्टोन इंडस्ट्री (फिगसी) द्वारा यह 12 वाँ अंतरराष्ट्रीय ग्रेनाइट व स्टोन फेयर 3-6 फरवरी, 2016 तक बैंगलुरू में आयोजित किया गया ।
  • 15-17 जनवरी, 2015 तक ‘सीआईआई पार्टनरशिप समिट’ का आयोजन जयपुर में बिड़ला ऑडिटोरियम में हुआ। इसमें मुख्यमंत्री श्रीमति वसुंधरा राजे ने ‘मेक इन इंडिया’ के साथ ‘मेक इन राजस्थान’ का नारा दिया।
  • जेसीबी (इण्डिया) की इकाई की स्थापना
  • ब्रिटेन की जेसीबी (इण्डिया) लि. द्वारा महिन्द्रा सेज, जयपुर में अर्थमूविंग तथा मैटेरियल हैण्डलिंग इक्विपमेंट इकाई की स्थापना की गई है।
  • 14 नवंबर, 2014 को मुख्यमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।
  • जेसीबी ने 1979 में भारत में अपना पहला प्लांट लगाया था। इसके दो प्लांट पुणे और एक बल्लभगढ़ (हरियाणा) में हैं।
  • ई-बिज परियोजनाः राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स योजना के अंतर्गत भारत सरकार की औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग द्वारा ई-बिज परियोजना प्रारम्भ की गई है।
  • राजस्थान को इस परियोजना में पायलट राज्य के तौर पर सम्मिलित किया गया है।
  • ई-ब्रिज परियोजना का उद्देश्य निवेश की विभिन्न मंजूरी की प्रक्रियाओं को सरल व विलंब रहित बनाते हुए निवेशकों के लिए एकल खिड़की सेवाएँ उपलब्ध कराना है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

 सूचना तकनीक पार्क :- सीतापुरा (जयपुर), कोटा, जोधपुर, उदयपुर भिवाड़ी (अलवर)।

 फरवरी 2009 में भीलवाड़ा को कपड़ा निर्यातक शहर का दर्जा।

– राजस्थान में जिला केन्द्र :- 36

– राजस्थान में उप जिला केन्द्र :- 8 (ब्यावर, फालना, आबूरोड, बालोतरा, किशनगढ़, मकराना, नीमराना एवं सुजानगढ़)।

– रीको द्वारा दिसम्बर 2016 तक 339 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा चुके हैं।

– प्रदेश का पहला भामाशाह टेक्नोहब :- जयपुर में।

– I-Start :- एकीकृत स्टार्ट अप प्लेटफार्म। 18 अगस्त, 2017 को कोटा डिजिफेस्ट के दौरान लॉन्च किया गया है।

– प्रदेश का पहला इंडियन मेडिकल डिवाइस पार्क :- कोलिला जोगा (नीमराणा, अलवर) में।

– “कपास उगाओ-खुशहाली पाओ’ अभियान की शुरूआत :- 24 मई, 2017 को धनौदी (झालावाड़) से।

– स्टोना-2018 :- 13वाँ 7-10 फरवरी, 2010

– क्षेत्र आधारित विशेष औद्योगिक जोन स्थापित करने वाला देश का प्रथम राज्य।

– वस्त्र – 2017 :- 21-24 सितम्बर, 2017 जयपुर में। रीको द्वारा फिक्की के सहयोग से आयोजित।

– स्टोन मार्ट 2017 :- 2-5 फरवरी, 2017 सीतापुरा (जयपुर) में

– उर्बाना टेक्नोलॉजी पार्क :- कोटा में।

– पहला जापानी पार्क :- नीमराना (अलवर) में। घीलोठ (अलवर) में रीको द्वारा दूसरा जापानी पार्क स्थापित िकया जा रहा है।

– घीलोट औद्योगिक केन्द्र :- रीको व कोरिया ट्रेड इन्वेस्टमेन्ट (अलवर) प्रमोशन एजेन्सी (कोटरा) की संयुक्त भागीदारी में घीलोट (अलवर) में कोरियन निवेश क्षेत्र विकसित किया जा रहा है।

 सिरेमिक जोन :- घीलोट (अलवर) में।

 Make in India अभियान की शुरूआत :- 25 सितम्बर, 2014 को।

– राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2014 :- 8 अक्टूबर, 2014 को शुरूआत।

– सूखा बन्दरगाह :- भवतड़ा गाँव (सांचौर, जालौर) में। (अडानी समूह द्वारा)

– राजस्थान युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजना :- 19 अप्रैल, 2013 लागू।

 इस योजना के तहत 25 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की लागत की परियोजनाओं हेतु न्यूनतम ब्याज दर एवं सुगम शर्तों पर राजस्थान वित्त निगम से ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

– “स्मार्ट’ योजना :- वस्त्र उद्योग में विकास के लिए 8 अक्टूबर, 2010 को प्रारम्भ की गई योजना।

– देश का पहला जैम बुर्स :- जयपुर में।

– ग्रीनटेक मेगा फुड पार्क :- रुपनगढ़ (अजमेर) में।

 राज्य का पहला मैगा फुड पार्क। (देश का 13वाँ)

 30 मार्च, 2018 को हरसिमरत कौर (खाद्य प्रसंस्करण मंत्री) द्वारा उद्‌घाटन।

 लागत :- 113.57 करोड़ रुपये।

– पावरलूम मेगा कलस्टर :- भीलवाड़ा में।

– कपड़ा निर्यातक शहर :- भीलवाड़ा।

– उत्तर भारत का प्रथम DAP कारखाना :- कपासन (चित्तौड़गढ़)

– जुट पार्क :- श्रीनगर (अजमेर) में।

– द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61) में महालनोबिस मॉडल के आधार पर औद्योगिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।

– राजस्थान में औद्योगिक विकास पर सर्वाधिक व्यय (कुल परियोजना व्यय का 5.3%) आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) में किया गया।

– राज्य की प्रथम औद्योगिक नीति :- 24 जून, 1978 – तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के काल में। इस नीति में रोजगारोन्मुख उद्योग (खादी, ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प) के विकास पर बल दिया गया।

– द्वितीय औद्योगिक नीति :- दिसम्बर 1990 को घोषित तथा अप्रैल 1991 में लागू। मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के काल में जारी इस नीति में खनन, कृषिगत व अन्य साधनों के अधिकतम उपयोग पर बल।

तृतीय औद्याेगिक नीति15 जून, 1994राज्य का तीव्र गति से औद्योगिकरण का लक्ष्य रखा
चतुर्थ औद्योगिक नीति4 जून, 1998राजस्थान को कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में विनियोग की दृष्टि से सर्वोच्च प्राथमिकता वाला राज्य बनाना

– राज्य में सर्वाधिक पंजीकृत फैक्ट्रियाँ :- जयपुर व जोधपुर में।

 राज्य में न्यूनतम पंजीकृत फैक्ट्रियाँ :- जैसलमेर व बारां में।

– उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिकों के लिए) की गणना के लिए जयपुर, अलवर व भीलवाड़ा को शामिल किया जाता है। अलवर की जगह पहले अजमेर को शामिल किया जाता था।

– कम्प्यूटर एडेड डिजाइन सेन्टर :- भीलवाड़ा में।

– कुमारप्पा हस्तशिल्प कागज राष्ट्रीय संस्थान :- सांगानेर (जयपुर)।

– ब्रह्मगुप्त अनुसंधान एवं विकास केन्द्र :- जोधपुर।

– सिरेमिक प्रशिक्षण प्रयोगशाला :- बीकानेर।

– एग्रोफुड पार्क :- कोटा, अलवर, जोधपुर, श्रीगंगानगर में।

– ग्लास एवं सिरेमिक हब :- घीलोट (अलवर)।

– रीको की स्थापना :- जनवरी 1980 में (कम्पनी अधिनियम 1956 के अधीन पंजीकृत कम्पनी)

– उद्यमिता एवं प्रबंध विकास संस्थान :- 19 फरवरी, 1996 को पंजीकृत। जयपुर में स्थापित स्वायतशासी संस्थान।

– राजस्थान खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड :- अप्रैल 1955 को स्थापना।

 उद्देश्य :- राज्य में खादी व ग्रामोद्योग क्षेत्र के विकास द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करना तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।

– राजस्थान कन्सलटेन्सी ऑर्गेनाइजेशन लिमिटेड (राजकॉन) :-

 स्थापना :- 1978

 मुख्यालय :- जयपुर

 उद्देश्य :- राज्य में छोटे एवं मंझले परियोजना प्रवर्तकों को समग्र रूप से तकनीकी विपणन, प्रबन्धकीय, विकासात्मक व वित्तीय परामर्श सेवाएँ प्रदान करना।

– राजस्थान निवेश संवर्द्धन बोर्ड :- 8 जून, 2009 को गठन।

 अध्यक्षता :- मुख्यमंत्री द्वारा।

– निवेश संवर्द्धन ब्यूरो :- 1991 में स्थापित।

 यह 10 करोड़ से अधिक निवेश प्रस्तावों के लिए नोडल एजेन्सी हैं।

– राजस्थान फाउण्डेशन :- 30 मार्च, 2001 को स्थापना।

 अध्यक्षता :- मुख्यमंत्री

 उद्देश्य :- प्रवासी राजस्थानियों को प्रदेश के विकास में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।

– भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान :- जोधपुर में।

– भारतीय शिल्प व डिजाइन संस्थान :- 20 अप्रैल, 1995 को स्थापना जयपुर में।

– वर्ष 2015 में अजमेर जिले के सथाना (मसूदा तहसील) में सिरेमिक एवं काँच उद्योग के लिए विशेष औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गई है।

– दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा (DMIC) :-

 90 बिलियन यूएस डॉलर की महत्वाकांक्षी मेगा ढांचागत परियोजना।

 जापान की वित्तीय एवं तकनीकी सहायता से क्रियान्वित।

 गलियारे की लम्बाई :- 1483 Km.

 यह गलियारा मुम्बई के जवाहरलाल नेहरू एयरपोर्ट को दादरी (UP) से जोड़ता है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अलावा राजस्थान सहित 6 राज्यों से गुजरेगा।

 राजस्थान में इसकी लम्बाई 576 किमी. (39%) होगी।

 इस गलियारे में औद्योगिक कलस्टर, औद्योगिक पार्क, स्पेशल इकोनॉमिक जोन, पॉवर प्रोजेक्टस, औद्योगिक टाउनशिप आदि को विकसित किया जायेगा।

 DMIC राजस्थान के 7 जिलों (अलवर, सीकर, नागौर, जयपुर, अजमेर, पाली व सिरोही) से होकर गुजरेगा।

– हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड :- 10 जनवरी, 1966 को स्थापित।

 जिंक स्मेल्टर :- देबारी (उदयपुर) व चन्देरिया (चित्तौड़गढ़)

– हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड :- खेतड़ी। नवम्बर 1967 में USA की सहायता से स्थापना।

– हिन्दुस्तान मशीन टूल्स :- अजमेर, चेकोस्लोवाकिया की मदद से 1967 में स्थापित।

– सांभर साल्टस लिमिटेड :- 1964 में स्थापित।

– माडर्न बैकरीज :- 1965 में स्थापित।

– राजस्थान आवासन मण्डल :- 1970 में स्थापित।

– महिन्द्रा ग्रुप ने रीको (RIICO) के सहयोग से जयपुर में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की स्थापना की है।

– राजस्थान MSME दिवस :- 17 सितम्बर (विश्वकर्मा जयंती) के उपलक्ष्य में।

– औद्योगिक सम्भावनाओं के आधार पर राजस्थान के A श्रेणी के जिले :- उदयपुर, अलवर, कोटा, भीलवाड़ा, जोधपुर, पाली, अजमेर।

– राजस्थान में टायर एवं ट्यूब बनाने का सबसे बड़ा कारखाना :- कांकरोली (राजसमन्द)

– राज्य में बिजली के मीटर बनाने के लिए प्रसिद्ध फैक्ट्री :- जयपुर मेटल्स एण्ड इलेक्ट्रीकल्स (जयपुर)

– अशोका लीलेण्ड कारखाना :- अलवर।

– नेशनल बॉल बियरिंग कारखाना :- जयपुर।

– सेमकोर ग्लास लिमिटेड :- कोटा।

– माणिक्यलाल वर्मा टेक्सटाइल्स इंस्टीट्यूट :- भीलवाड़ा में।

– देश का पहला MSME सेन्टर :- (भिवाड़ी) अलवर में।

– राजस्थान का पहला इंटीग्रेटेड स्टील प्लान्ट :- पुर (भीलवाड़ा) में।

– प्रदेश का पहला राइस कलस्टर :- बूँदी में।

– राजस्थान सूचना एवं प्रौद्योगिकी दिवस :- 21 मार्च।

– शून्य उद्योग वाले जिले :- जैसलमेर, बारां, बाड़मेर, चूरू व सिरोही।

– अर्जुन सेन गुप्ता समिति :- राज्य में सार्वजनिक उपक्रमों की दशा सुधारने के लिए सुझाव देने हेतु गठित समिति।

– रमकड़ा उद्योग :- गलिया कोट (डूंगरपुर)।

– कागज उद्योग :- सांगानेर (जयपुर) व घोसूण्डा (उदयपुर)

– अगरबत्ती उद्योग :- अजमेर, अलवर।

– ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला :- बीकानेर।

– नमदे, खस व दरियां बनाने के लिए प्रसिद्ध शहर :- टोंक।

– एशिया में सबसे बड़ी ऊन की मंडी :- बीकानेर।

– दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सीमेन्ट कारखाना :- बावरा (सवाईमाधोपुर)

– हीरागढ़ व साम्बरा नमक की खानों के लिए प्रसिद्ध हैं।

– घड़िया बनाने का उद्योग :- अजमेर व जयपुर।

– सिमको वेगन फैक्ट्री :- भरतपुर।

– अरावली पानी के मीटर बनाने का कारखाना :- अलवर।

– राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स :- डीडवाना में।

– गोटा उद्योग – जयपुर, अजमेर और खण्डेला।

– खेसला उद्योग :- गुढ़ा, बालोतरा, फालना, सुमेरपुर।

– मसूरिया साड़ी :- कोटा।

– कृत्रिम रेशम (टसर) का विकास कोटा, उदयपुर, बाँसवाड़ा जिलों में किया जा रहा है।

– जयपुर का हाथीदांत का कार्य पूरे देश में विख्यात है।

– स्ट्रॉबोर्ड का कारखाना :- कोटा में।

– सूंघनी (नसवार) बनाने का कारखाना :- ब्यावर।

– भामाशाह रोजगार सृजन योजना :- 2015 में शुरूआत।

औद्योगिक क्षेत्रजिला
घीलोट औद्योगिक क्षेत्रअलवर
इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्रकोटा
माखुपुरा औद्योगिक क्षेत्रअजमेर
पर्वतपुरा औद्योगिक क्षेत्रअजमेर
भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्रअलवर
खुशखेड़ा औद्योगिक क्षेत्रअलवर
विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्रजयपुर
कलड़वास औद्योगिक क्षेत्रउदयपुर
बोरानाडा औद्योगिक क्षेत्रजोधपुर

राजस्थान के लघु कुटीर एवं हस्तशिल्प ग्रामोद्योग :-

उद्योगस्थान
ब्ल्यू पॉटरीजयपुर
उस्ता कलाबीकानेर
थेवा कलाप्रतापगढ़ (राजसोनी परिवार)
सुनहरी टैराकोटाबीकानेर
खेसलेलेटा (जालौर)
अजरख एवं मलीर प्रिन्टबाड़मेर
आजम प्रिन्टआकोला (चित्तौड़गढ़)
मथैरण कलाबीकानेर
कागजी टैराकोटाअलवर
फड़ चित्रणशाहपुरा (भीलवाड़ा)
तारकशी के जेवरनाथद्वारा
बादला, मोजड़ियाँ, चूनड़ी, मोठड़ाजोधपुर
कृषिगत औजारगजसिंहपुर (गंगानगर)
लाख का काम, कोफ्तगिरी व तहनिशा कार्यजयपुर
पिछवाईनाथद्वारा
नांदणेभीलवाड़ा
मीनाकारी एवं कुंदन कार्यजयपुर

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