ऊर्जा संसाधन

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  • परम्परागत एवं गैर परम्परागत स्रोत
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना में सर्वाधिक व्यय ऊर्जा पर 36.92 प्रतिशत  किया जाना प्रस्तावित है।
  • ऊर्जा प्राप्ति के स्रोतों को हम दो श्रेणियों में बांट सकते है

1. परम्परागत ऊर्जा स्रोत

1. जल विद्युत

2. तापीय ऊर्जा

3. आण्विक ऊर्जा

2. गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत

1. सौर ऊर्जा – सूर्य की धूप से उत्पन्न ऊर्जा

2. पवन ऊर्जा – तेल चलने वाली हवा से उत्पन्न ऊर्जा

3. बायोमास – कचरा, सरसों, चावल की भुसी से उत्पन्न।

4. बायोगैस – जानवरों के मल-मूत्र के अपघटन से प्राप्त ऊर्जा।

5. भू-तापीय ऊर्जा – पृथ्वी से निकलने वाले गर्म स्रोतों की ऊष्मा से उत्पन्न ऊर्जा।

6. ज्वारीय तरंग ऊर्जा 7 समुद्री ज्वार भाटे व तरंगो से उत्पन्न ऊर्जा

जल विद्युत परियोजनाएं

  • भाखड़ा नांगल परियोजना : राजस्थान, पंजाब व हरियाणा की संयुक्त परियोजना। कुल विद्युत क्षमता 1493 मेगावाट जिसमें राजस्थान का हिस्सा 227.32 । इसमें राजस्थान का 15.22 प्रतिशत हिस्सा है।
  • रावी – व्यास परियोजना – राजस्थान, हरियाणा व पंजाब की संयुक्त परियोजना। इस परियोजना से राजस्थान को 422.64 मेगावाट विद्युत मिल रही है।
  • माही बजाज सागर परियोजना – गुजरात व राजस्थान की साझी परियोजना इसमें 140 मेगावाट विद्युत उत्पादन जो सम्पूर्ण विद्युत राजस्थान को प्राप्त है।
  • चम्बल परियोजना : मध्यप्रदेश व राजस्थान की 50 : 50 की साझेदारी परियोजना। इसका कुल उत्पादन – 386 मेगावाट।  
  • जाखम बांध लघुपन विद्युत परियोजना – प्रतापगढ़ जिले के जाखम बांध पर 5.50 मेघावाट की परियोजना स्थापित।

लघु पर बिजली परियोजनाएं –

विद्युत गृहजिलाक्षमता
1. अनूपगढ़ प्रथम व द्वितीयश्रीगंगानगर9 मेगावाट
2. सूरतगढ़ प्रथम व द्वितीयश्रीगंगानगर4 मेगावाट
3. माही-दायी मुख्य नहरप्रथम व द्वितीयबांसवाड़ा.965 मेगावाट
4. पूगल प्रथम व द्वितीयबीकानेर3.30 मेगावाट
5. चारणवालाबीकानेर1.20 मेगावाट
6. बीसलपुरटोंक.535 मेगावाट
7. मांगरोलबारां6.00 मेगावाट
  • इसके अलावा निम्न परियोजनाओं में भी राजस्थान का हिस्सा है।

1. सलाल परियोजना, उधमपुर (जम्मू-कश्मीर)

2. चमेरा परियोजना, चम्बा (हिमाचल प्रदेश)

3. धौलीगंगा परियोजना, पिथौरागढ़ (उत्तराखंड)

4. नाथपा झाकरी परियोजना (हिमाचल प्रदेश)

5. कोल बांध जल विद्युत परियोजना, हिमाचल प्रदेश।

ताप विद्युत परियोजना

  • देश में उत्पादित ऊर्जा का 60 प्रतिशत भाग कोयले, डीजल और गैस आधारित ताप विद्युत गृहों से प्राप्त होता है।
  • राजस्थान को उपलब्ध होने वाली कुल ऊर्जा में सर्वाधिक भाग ताप विद्युत का लगभग 47 प्रतिशत है।

सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन

  • सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) के निकट ठुकराणा गांव
  • यह प्रदेश का पहला सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन कुल स्थापित क्षमता- (6 × 250 = 1500 मेगावाट)

सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युत परियोजना

  • शिलायन्स – 20 जून 2013 की।
  • क्षमता – (2 × 660 = 1320 मेगावाट)

कोटा सुपर तापीय विद्युत परियोजना –  1 से 6

  • कोटा बैराज के पास स्थापित विद्युत गृह यह राजस्थान का पहला कोयला आधारित विद्युत गृह है।
  • कुल क्षमता – 1240 मेगावाट

छबड़ा सुपर तापीय विद्युत परियोजना, बारां –

  • कुल क्षमता – (4 × 250 = 1000 मेगावाट)

छबड़ा सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युत परियोजना –

  • इकाई 5 व 6 (2 × 660 = 1320 मेगावाट)
  • इस परियोजना में जल का आंवटन परवन बांध से।

कालीसिंध सुपर क्रिटिकल तापीय परियोजना-

  • इकाई 3 व 4
  • इस परियोजना का शिलान्यास
  • 17 सितम्बर 2013 को किया गया।
  • (2 × 660 = 1320 मेगावाट)

गिरल लिग्नाइट थर्मल पॉवर स्टेशन –

  • थुम्बली गांव, तहसील शिव (बाड़मेर)
  • राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा KLF जर्मनी के आर्थिक सहयोग से गिरल में लिगनाइट पर आधारित (2 × 125 = 250 मेगावाट का विद्युत गृह स्थापित)
  • बरसिंहसर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट (बीकानेर) नैवेली लिग्नाईट कॉर्पोरेशन द्वारा लिग्नाईट आधारित दो नये ताप विद्युत गृह स्थापित किये गये है। (2 × 125 = 250 मेगावाट)

भादरेस (बाड़मेर) लिग्नाइट आधारित सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट

  • राजवेस्ट पॉवर लिमिटेड द्वारा भादरेस (बाड़मेर) में (8 × 135 = 1080 मेगावाट) का यह लिग्नाइट आधारित सुपर पॉवर प्लांट लगाया गया है।
  • इसके अलावा राजस्थान के हिस्सेदारी वाली परियोजाएँ
  • सिंगरौली परियोजना, उत्तरप्रदेश – कुल क्षमता – 2000 मेगावाट
  • रिहन्द ताप विद्युत परियोजना, उतरप्रदेश कुल क्षमता (5 × 500 = 2500 मेगावाट)
  • सतपुड़ा परियोजना, मध्यप्रदेश

गैस व तरल ईंधन आधारित परियोजनाएं

  • रामगढ़ गैस परियोजना – रामगढ़ (जैसलमेर)
  • राज्य द्वारा स्थापित प्रथम गैस आधारित विद्युत परियोजना
  • क्षमता 273.5 मेगावाट

अंता गैस विद्युत परियोजना, बारां (राजस्थान)

  • केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित यह परियोजना 1989 – 90 से NTPC द्वारा संचालित है।
  • राज्य का अंश – 19.81 प्रतिशत (83.07 मेगावाट)
  • यह राजस्थान में स्थापित प्रथम गैस विद्युत परियोजना है।

धौलपुर गैस कम्बाइंड साइकिल तापीय पॉवर प्लांट

  • राजस्थान की दूसरी गैस आधारित परियोजना
  • कुल क्षमता – (3 × 110 = 330 मेगावाट)

अन्य मुख्य परियोजनाएँ

  • औरेया (उत्तरप्रदेश) – राजस्थान का भाग – 9.2 प्रतिशत।
  • दादरी (उत्तरप्रदेश) कुल क्षमता – 829.76 प्रतिशत।
  • राजस्थान का अंश – 9.28 प्रतिशत।

परमाणु ऊर्जा –

  • राजस्थान का परमाणु शक्ति गृह, रावतभाटा (चितौड़गढ)
  • यह नाभिकीय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित
  • यह कनाडा के सहयोग से स्थापित
  • देश का दूसरा व राजस्थान का पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन 
  • कुल क्षमता – 1180 मेगावाट
  • नाभिकीय ऊर्जा निगम द्वारा रावत भाटा में 2 × 700 मेगावाट क्षमता की नई इकाइयां स्थापित की जा रही है।

अन्य परमाणु ऊर्जा संयत्र

  • परमाणु ऊर्जा विभाग (भारत सरकार) द्वारा 4 × 700 मेगावाट की परमाणु इकाईयां माही (बांसवाड़ा) में स्थापित करने की सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी है।

गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत

  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम –
  • राज्य में गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास व परिवहन तथा विद्युत संयंत्रों की स्थापना हेतु वर्तमान में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम प्रयासरत है।
  • भारत में अक्षय ऊर्जा (सौर ऊर्जा सहित) की संभाव्यतया सर्वाधिक – राजस्थान में 17 प्रतिशत।
  • सशक्त अवसरंचना किसी भी राज्य के सर्वांगीण सामाजिक आर्थिक विकास की कुंजी है। इससे राज्य में अतिरिक्त निवेश आकर्षित होता है, जो कि अन्य राज्यों से प्रतिस्पर्द्धात्मक सक्षमता प्रदान करता है। पर्याप्त एवं कुशल अवसंरचना न केवल औद्योगिकरण को बढ़ावा देती है, बल्कि जनसाधारण के जीवन स्तर की गुणवत्ता में भी वृद्धि करती है।
  • ऊर्जा उत्पादन – विश्व में भारत के साथ राजस्थान का ऊर्जा क्षेत्र भी विविधता से परिपूर्ण है। राज्य के ऊर्जा उत्पादन के स्रोतों के अन्तर्गत परम्परागत स्रोत जैसे – कोयला, लिग्नाईट, प्राकृतिक गैस, तेल, पन बिजली एवं परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ गैर-परम्परागत स्रोत जैसे – वायु, सौर तथा कृषि व घरेलू अपशिष्ट सम्मिलित हैं।
  • राज्य में ऊर्जा उत्पादन के प्रमुख स्रोत कोटा व सूरतगढ़ तापीय संयंत्र, धौलपुर गैस तापीय संयंत्र, माही पन बिजली परियोजना , पवन ऊर्जा, बायोमॉस, कैप्टिव ऊर्जा संयंत्र, भाखड़ा, व्यास, चम्बल, सतपुड़ा अन्तर्राज्यीय भागीदारी परियोजनाएं, राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र और सिंगरौली, रिहन्द, दादरी अन्ता, ओरैया, दादरी गैस संयंत्र, ऊँचाहार तापीय और टकनपुर, सलाल, चमेरा व उरी जल विद्युत केन्द्रीय परियोजनाएं हैं।
  • अधिष्ठापित क्षमता – राज्य में मार्च, 2017 तक ऊर्जा की अधिष्ठापित क्षमता 18,667.18 मेगावाट थी इसमें वर्ष 2017-18 में (दिसम्बर, 2017 तक) 859.59 मेगावाट की वृद्धि हुई। इस प्रकार दिसम्बर, 2017 तक अधिष्ठापित क्षमता बढ़कर 19,536.77 मेगावाट हो गई।
    • भविष्य की योजनाएं – 2,800 मेगावाट की तीन परियोजनाएं प्रगति पर है।
    • छबड़ा सुपर क्रिटिकल तापीय परियोजना
    • सूरतगढ़ तापीय परियोजना
    • रामगढ़ तापीय परियोजना
  • अक्षय ऊर्जा – राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड राज्य में गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन, दक्षता एवं संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार की एक नोडल एजेन्सी है। राजस्थान सरकार द्वारा दिनांक 08 अक्टूबर, 2014 को “राजस्थान सौर ऊर्जा को बेहतर रूप से विकसित करने हेतु पवन ऊर्जा नीति में संशोधन किए गए। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा क्रियान्वित की जा रही माह दिसम्बर, 2017 तक की स्थिति निम्नानुसार हैः-

क. सौर ऊर्जा उत्पादन

  • एक वर्ष में अधिकतम सौर विकिरण तीव्रता लगभग 6-7 किलोवाट घण्टे/वर्गमीटर/प्रतिदिन एवं बहुत कम औसत वर्षा के कारण अधिकतम सौर दिवस (एक वर्ष में 325 दिवस से अधिक) से राजस्थान समृद्ध है। नवीन एवं नवीनीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के आंकलन के अनुसार राजस्थान में सौर स्रोतों से 142 गीगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता है। राज्य सरकार ने निवेशकों के लिए उपयुक्त राजस्थान सौर ऊर्जा नीति, 2014 जारी कर 25 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है।

ख. सोलर पार्क एवं मेगा सोलर पॉवर प्रोजेक्ट्स का विकास 

  • राज्य में सोलर पार्कों की स्थापना हेतु निम्नलिखित 3 संयुक्त उपक्रम कम्पनियों का गठन किया जा चुका हैः-
  • मैसर्स सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड
  • मैसर्स अढ़ानी रिन्युएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड
  • मैसर्स एसेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड
  • नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार ने, ‘सोलर पार्क एवसं अल्ट्रा मेगा सोलर प्रोजेक्ट योजना के विकास’ के अन्तर्गत राज्य में कुल 5,430 मेगावाट क्षमता के निम्नलिखित 6 सोलर पार्कों को सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की हैः- 
  • भडला सोलर पार्क फैज द्वितीय (680 मेगावाट) का निर्माण राजस्थान सोलर पार्क डवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड (राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम की सहयोगी कम्पनी) द्वारा।
  • भडला सोलर पार्क फैज तृतीय (1,000 मेगावाट) का निर्माण संयुक्त उपक्रम कम्पनी मैसर्स सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड द्वारा।
  • भडला सोलर पार्क फैज चतुर्थ (500 मेगावाट) का निर्माण संयुक्त उपक्रम कम्पनी मैसर्स अढानी रिन्युएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड द्वारा।
  • फलौदी-पोकरण सोलर पार्क (750 मेगावाट) का निर्माण संयुक्त उपक्रम कम्पनी मैसर्स एसेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड द्वारा।
  • फतेहगढ़ फैज-1बी सोलर पार्क (1,500 मेगावाट) का निर्माण संयुक्त उपक्रम कम्पनी मैसर्स अढानी रिन्युएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड द्वारा।
  • नोख सोलर पार्क (1000 मेगावाट) का निर्माण राजस्थान सोलर पार्क डवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड द्वारा।

ग. सोलर रूफ टॉप पावर जनरेशन स्कीम

  • रूफ टॉप पर सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग द्वारा 26 फरवरी, 2015 को शुद्ध परिमाण विनियामक (नेट मीटरिंग रेग्युलेशन) जारी कर दिया गया है। निगम द्वारा राज्य में नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देय केन्द्रीय वित्तीय सहायता से  सोलर फोटोवॉल्टिक ग्रिड को ऊर्जा संयंत्र से जोड़कर सोलर रूफ टॉप पावर जनरेशन स्कीम को प्रोत्साहित करना प्रारम्भ किया गया है। जनवरी, 2016 में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजस्थान में 25 मेगावाट पी.वी. क्षमता के रूफ में प्रोजेक्ट्स की स्वीकृति दी गयी है, जिसके अन्तर्गत घरेलू संस्थागत एवं सामाजिक क्षेत्र के भवनों पर 30 प्रतिशत केन्द्रीय वित्तीय सहायता देय है। इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है एवं 11 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।

घ. ग्रामीण क्षेत्र में सौर ऊर्जा विद्युतीकरण

  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने केन्द्र एवं राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार अविद्युतीकरण ग्रामों/ढाणियों के विद्युतीकरण हेतु ऑफ-ग्रिड सोलर फोटोवॉल्टिक (एस.वी.पी.) होम लाईटिंग सिस्टम कार्यक्रम हाथ में लिया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्युत कम्पनियों द्वारा घोषित अविद्युतीकरण गांवों एवं ढाणियों के अनुमानित 60,483 परिवारों के घरों को विद्युतीकरण करने के लिए सम्मिलित किया गया है। इस योजना में लाभार्थी को घरेलू लाईटिंग उपकरणों की स्थापना हेतु, क्रमशः 75 प्रतिशत अनुदान रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉर्पोरेशन द्वारा एवं 20 प्रतिशत अनुदान राज्य मद से कुल 95 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। वर्तमान में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत अविद्युतीकरण ग्रामों/ढाणियों में 40,290 होम लाईटिंग सिस्टम की स्थापना की जा चुकी है, शेष कार्य प्रगति पर है।

   ड. एस.पी.वी. वाटर पम्पिंग प्रोग्राम

  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के तकनीकी सहयोग से राजस्थान उद्यान विकास सोसायटी द्वारा राजस्थान में एस.पी.वी. वाटर पम्प कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। राज्य में दिसम्बर, 2017 तक 29,667 एस.पी.वी. पम्प लगाए जा चुके हैं। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 में 7,500 एस.पी.वी. पम्प स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान की है, जिसका कार्य प्रगति पर है।

   च. पवन ऊर्जा कार्यक्रम (पवन ऊर्जा)

  • राज्य में पवन ऊर्जा की 100 मीटर की ऊँचाई पर अनुमानित क्षमता लगभग 18,770 मेगावाट है। राज्य में दिसम्बर, 2017 तक कुल 4,292.5 मेगावाट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।

   छ. जैविक द्रव्य ऊर्जा (बायोमास एनर्जी)

  • विभिन्न प्रकार के गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों में से जैविक द्रव्य  भी अस्थायी ऊर्जा का स्रोत है, जो कि स्वच्छ होने के साथ ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को भी कम करता है। राजस्थान राज्य में जैविक द्रव्य के मुख्य स्रोत सरसों की तूड़ी एवं जूली फ्लोरा हैं। नियामक आयोग द्वारा सामान्य प्रशुल्क निर्धारित करने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में जैविक द्रव्य जैसे – सरसों के डंठल, चावल की भूसी एवं जूली फ्लोरा सहित अन्य कृषि अपशिष्ट की अधिशेष उपलब्धता के लिए एक अध्ययन करवाया गया है। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा जैविक द्रव्य ईंधन की आपूर्ति हेतु वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में साधारण प्रशुल्क निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र एजेन्सी द्वारा एक अध्ययन भी करवाया गया है। राज्य में दिसम्बर, 2017 तक 120.45 मेगावाट क्षमता के 13 जैविक द्रव्य ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित हो चुके हैं।

   ज. ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम

  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा ऊर्जा दक्ष उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों एवं समय समय पर प्राथमिक परियोजनाओं की स्थापना कर राज्य में ऊर्जा की बचत की सम्भावनाओं को दर्शाने के लिए ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम, ऊर्जा संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों की पहचान के लिए वर्ष 2009 से प्रत्येक वर्ष ऊर्जा संरक्षण दिवस 14 दिसम्बर को ‘राजस्थान ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार’ आयोजित करता है। दिसम्बर, 2017 तक कुल आठ पुरस्कार समारोह आयोजित किए जा चुके हैं। राजस्थान अक्षय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार उद्योग, सरकारी भवन, अस्पताल, ऊर्जा अंकेक्षक/प्रबन्धक, व्यक्तिगत, संस्था इत्यादि श्रेणियों के अन्तर्गत प्रदान किए जाते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • – केवई परियोजना (बारां) :- क्षमता – 1320 MW अडानी पॉवर लिमिटेड द्वारा निर्माण।
  • – “प्राकृतिक गैस’ आधारित तापीय विद्युत गृह :- रामगढ़ (जैसलमेर)
  • – राज्य का पहला सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट :- सुरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन। (1500 MW)
  • – राज्य का सबसे बड़ा थर्मल पॉवर प्लान्ट :- छबड़ा थर्मल पॉवर प्लान्ट (2320 MW)
  • – राज्य की पहली लिग्नाइट गैसीकरण तकनीक पर आधारित परियोजना :- गिरल लिग्नाइट थर्मल पॉवर स्टेशन (बाड़मेर)।
  • – निजी क्षेत्र की राज्य की पहली लिग्नाइट परियोजना :- गुढ़ा (बीकानेर)
  • – कपूरड़ी-जालीपा, गिरल (बाड़मेर) पलाना-बरसिंहसर (बीकानेर) गुढ़ा (बीकानेर) आदि लिग्नाइट आधारित ऊर्जा संयंत्र हैं।
  • – सिगरौली सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट (UP) :- 2000MW क्षमता वाले इस प्रोजेक्ट में राजस्थान का हिस्सा 15% हैं।
  • – रिहन्द सुपर ताप विद्युत परियोजना :- UK के सहयोग से स्थापित 3000 MW वाली इस परियोजना में राजस्थान का हिस्सा 11.5% हैं।
  • – सतपुड़ा परियोजना :- MP में। क्षमता – 1300 MW
  •  राजस्थान का हिस्सा – 40%
  • – राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण (Reda) :- 21 जनवरी, 1985
  •  राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम (RREC) :- 9 अगस्त, 2002
  •  यह राजस्थान में गैर परम्परागत ऊर्जा (Reda + RSPCL)
  •  स्रोत से ऊर्जा सृजन करने के लिए नोडल एजेन्सी है।
  •  राजस्थान का प्रथम पवन ऊर्जा संयंत्र :- अमर सागर (जैसलमेर) 1999 में स्थापित।
  • – राज्य की निजी क्षेत्र की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना (2.76MW) :- बड़ा बाग (जैसलमेर)
  •  कम्पनी :- मैसर्स कालानी इण्डस्ट्रीज इंदौर द्वारा।
  • – एनकॉन इण्डिया लिमिटेड सुजलौन और RRBN लिमिटेड :- राज्य में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत कम्पनियाँ।
  • – राज्य का बायोमास आधारित 7MW का प्रथम विद्युत संयंत्र :- पदमपुरा (श्रीगंगानगर)।
  • – धुरमला (अलवर) :- प्रोजेक्ट चिराग के तहत सौर ऊर्जा से रोशन होने वाला देश का 220वाँ गाँव।
  • – दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क :- भड़ला (जोधपुर)।
  • – राज्य का पहला सौर – ऊर्जा चालित एटीएम :- मनोहरपुर (जयपुर)
  • –  एशिया का प्रथम सोलर थर्मल पॉवर स्टेशन :- भरुखेड़ा (बीकानेर)
  •  क्षमता :- 10 मेगावाट।
  • – भारत का प्रथम सौर ऊर्जा चालित फ्रीज :- बालेसर (जोधपुर)
  • – भारेली (चूरू) :- राज्य में सौर ऊर्जा से खारे पानी को मीठा बनाने के लिए यहाँ संयंत्र लगाया गया है।
  • – SEEZ (Solar Energy Enterprises Zone) :- जोधपुर – जैसलमेर – बाड़मेर
  • – सोलर सिटी :- जयपुर, जोधपुर व अजमेर।
  • – सितम्बर 1997 में विश्व की पहली सौर ऊर्जा चालित नाव पिछोला झील में चलाई।
  • – राजस्थान की पहली महिला सौर ऊर्जा उद्यमी :- इन्दिरा शर्मा।
  • – नानी (सीकर) :- राज्य में इस स्थान पर कचरे से बिजली पैदा करने वाले संयंत्र की स्थापना की जायेगी।
  • – हिम्मतासर :- बीकानेर में इस स्थान पर राज्य का प्रथम हाइटेक 400 किलोवाट ग्रिड सब स्टेशन खुलेगा।
  • – राजस्थान स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड :- 2 अप्रैल, 2007 राज्य के कुल ऊर्जा उत्पादन में तापीय ऊर्जा का योगदान 61.02%, पन विद्युत का योगदान 10.12%, परमाणु ऊर्जा का 3.2% पवन ऊर्जा का 20.25%, सौर ऊर्जा का 4.43% तथा बायोमास का 0.56% योगदान है।
  • – नोख सोलर पार्क :- जैसलमेर।
  • – गुजरात की नर्मदा नदी की तर्ज पर हनुमानगढ़ जिले में मैनावाली माइनर पर भी सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा। देश में दूसरा और प्रदेश में पहला प्रोजेक्ट है।
  • – बायोमास नीति :- 2010
  •  सौर ऊर्जा नीति :- 2014 (8 अक्टूबर)
  •  पवन ऊर्जा नीति :- 2012
  • – राज्य में पवन ऊर्जा की आकलन क्षमता 18,770 MW हैं।
  •  राज्य में कुल सौर ऊर्जा उत्पादन की 147 GW (गीगावाट) क्षमता है।
  • – अनास विद्युत परियोजना – बाँसवाड़ा
  •  राहूघाट जल विद्युत परियोजना – करौली
  •  जाखम लघु जल विद्युत परियोजना – प्रतापगढ़
  •  मांगरोल लघु जल विद्युत परियोजना – बारां
  •  दहानू सौर बिजली परियोजना – जैसलमेर
  • – प्रदेश का पहला बायोमास संयंत्र :- भावगढ़ (बारां)
  • – उरी परियोजना :- बारामूला (J & K)। राजस्थान का हिस्सा 8.96%
  •  टनकपुर परियोजना :- उत्तराखंड। राजस्थान का हिस्सा 11.53%
  •  औरेया गैस परियोजना :- UP – राजस्थान का हिस्सा :- 45.12MW
  • – बायोगैस योजना :- 2014-15 में प्रारम्भ।
  •  100% राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित।
  • – जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन :- 11 जनवरी, 2010
  •  लक्ष्य :- 2022 तक 1 लाख MW सौर ऊर्जा उत्पादन करना।
  • – ऊर्जा संरक्षण दिवस :- 14 दिसम्बर।
  • – ऊर्जा संरक्षण निधि का गठन :- 2010 में।
  • – राजस्थान का प्रथम सोलर विद्युत गाँव :- लुम्बासर (बीकानेर)
  • – मिलीरेम :- परमाणु विकिरण की इकाई।
  • – कुटीर ज्योति योजना :- 1988-89 से प्रारम्भ।

 इस योजना में BPL से नीचे जीवनयापन करने वाले SC/ST एवं पिछड़े परिवारों को एक प्रकाश बिन्दु का घरेलू कनेक्शन प्रदान किया जाता है।

  • – एशिया का सबसे ऊँचा T. V. टॉवर :- रामगढ़ (जैसलमेर)
  • – सौर वैधशाला :- उदयपुर में (फतेहसागर झील के पास)।
  • – एशियाई विकास बैंक (ADB) राजस्थान अक्षय ऊर्जा प्रसारण निवेश कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
  • – सौर ऊर्जा उत्पादन में राजस्थान का स्थान :- प्रथम।
  • – राजस्थान में जैव ईधन का मुख्य स्रोत :- सरसों की भूसी और जूली वनस्पति।
  • – देश का पहला “वैस्ट गैस’ पर आधारित पॉवर प्लान्ट :- ब्यावर में।
  • – सौलर स्किल डवलपमेन्ट सेन्टर :- जोधपुर में।
  • – दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना :- 3 दिसम्बर, 2014
  • – राज्य में ताप विद्युत से सर्वाधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • – राज्य की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना :- अमरसागर (जैसलमेर)
  • – गौरीर सोलर प्लान्ट :- झुंझुनूं
  •  मोकला सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट :- जैसलमेर
  •  धूनिया सोलर एनर्जी प्लान्ट :- जोधपुर
  •  आगोरिया सोलर पावर प्रोजेक्ट :- बाड़मेर
  • – रावतभाटा की स्थापना :- 1973 में
  • – राज्य को प्राप्त विद्युत :- 412.74MW

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