खनिज संसाधन

Estimated reading: 4 minutes 63 views

खनिज

खनिज पदार्थ प्राकृतिक रूप से निकलने वाला वह पदार्थ है, जिसकी अपनी भौतिक विशेषताएँ होती हैं और जिसकी प्रकृति को रासायनिक गुणों  द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। मोटे तौर पर खनिजों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) ईंधन खनिज (Fuel Mineral)- कोयला, लिग्नाइट, कच्चा तेल एवं प्राकृतिक गैस

(2) धात्विक खनिज (Metallic Minerals)- बॉक्साइट, लौह अयस्क, ताम्र अयस्क, मैंगनीज आदि।

(3) अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals) – बेराइट्स, एपेटाइट, एंडुलासाइट, कायनाइट आदि।

(4) लघु खनिज (Minor Minerals) – मिट्‌टी तकी ईंट, कंकड़, भवन निर्माण, कायनाइट इत्यादि।

लौह अयस्क खनिज :- भारत में एशिया का विशालतम लौह – अयस्क संरक्षित हमारे यहाँ चार प्रकार के लौह-अयस्क पाए जाते है’-

      1. मैग्नेटाइट

      2. हेमेटाइट

      3. लिमोनाइट

      4. सिडेराइट

– भारत में मुख्यत: हेमेटाइट व मैग्नेटाइट किस्म का लोहा पाया जाता है।

– लौह अयस्क उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में चौथा है।

– विश्व में लौह अयस्क के सर्वाधिक भंडार आस्ट्रेलिया में है वर्ष 2017 में भारत का लौह – अयस्क के उत्पादन में चीन के बाद दूसरा स्थान है।

1. मैग्नेटाइट (Fe3O4)

–    यह सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है यह काले रंग का होता है तथा इसमें धातु की मात्रा 72% तक होती है।

      प्रमुख क्षेत्र :-

      1. झारखंड – सिंह भूम, बाराजामदा

      2. कर्नाटक – बेल्लारी – हॉस्पेट

      3. छत्तीसगढ़ – बैलाडिला

2. हेमेटाइट (Fe2O3)         

–    यह लाल एवं भूरे रंग का होता है। इसमें धातु का अंश 60 से 70 प्रतिशत के बीच होता है तथा भारत का अधिकतर (लगभग 58%) लौह अयस्क इसी श्रेणी का है।

      प्रमुख क्षेत्र :-

      1. झारखंड – सिंह भूम

      2. ओडिशा – मयूरभंज, क्योंझर, सुन्दरगढ़ 

      3. कर्नाटक, गोआ आदि जगहों में पाया जाता है।

3. लिमोनाइट –

–    यह प्राय: पीले रंग का होता हैं, इसमें धातु का अंश 10% से 40% होता है।

–    पश्चिम बंगाल के रानीगंज क्षेत्र में इस प्रकार के लौह अयस्क मिलते है।

4. सिडेराइट –

– इस अयस्क में अशुद्धियाँ अधिक पायी जाती है। धातु का अंश 48% तक होता है। इसका रंग भूरा होता है। इसमें लोहा एवं कार्बन का मिश्रण होता है।

– लिमोनाइट तथा सिडेराइट निम्न कोटि का लौह अयस्क है।

– लौह अयस्क के संचित भंडार का क्रम (राज्यवार)

      1. ओडिशा       2. झारखंड

      3. छत्तीसगढ़    4. कर्नाटक

– लौह अयस्क में छत्तीसगढ़ राज्य में बैलाडिला की लौह अयस्क खान तथा कर्नाटक में डोनीमलाई की खान प्रसिद्ध है।

मैंगनीज:-

मैंगनीज खनिज धारवाड़ शैलों से प्राप्त होता हैं। मुख्य अयस्क – साइलोमैलीन, पाइरोलूसाइट, ब्रोनाइट

– भारत में इसका प्रयोग मुख्य रूप में अपघर्षक जंगरोधी इस्पात बनाने, लोहे और मैंगनीज के मिश्रधातु बनाना, शुष्क बैटरी, रंग एवं काँच उद्योग में किया जाता है।

– भारत 90% मैंगनीज धारवाड़ शैल – समूह के गोंडाइट तथा कोडुराइट शृंखला में पाया जाता है।

– मध्यप्रदेश 38% एवं महाराष्ट्र 24% दोनों मिलकर देश के लगभग आधे से अधिक मैंगनीज का उत्पादन करते है।

– देश में मैंगनीज अयस्क की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (MOIL) नागपुर है।

– मैंगनीज मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर देश की सबसे महत्त्वपूर्ण मैंगनीज पेटी पायी जाती है।

– यह पेटी मध्य प्रदेश के बालाघाट – छिंदवाड़ा से लेकर महाराष्ट्र के नागपुर एवं भंडारा जिलें तक हैं।

प्रमुख क्षेत्र:-

      1. मध्यप्रदेश – बालाघाट – छिंदवाड़ा

      2. महाराष्ट्र – नागपुर, भंडारा एवं रत्नागिरी

      3. ओडिशा – क्योंझर, सुंदरगढ़, बोनाई, कालाहांडी, कोरापुर

      4. कर्नाटक – बेल्लारी, शिमोगा, उत्तरी कन्नड़

      5. आंध्र प्रदेश- विजयनगर, आदिलाबाद (तेंलगाना)

      6. झारखण्ड – सिंह भूम

      7. राजस्थान – बांसवाड़ा, उदयपुर

      8. गुजरात – बड़ोदरा एवं पंचमहल क्षेत्र

–    मैंगनीज का उत्पादन क्रम (राज्यवार)

      1. मध्यप्रदेश (38%)    2. महाराष्ट्र (29%)

      3. ओडिशा(14%)        4. आंध्रप्रदेश (8%)

–    मैंगनीज के संचित भंडार का क्रम (राज्यवार)

      1. ओडिशा (45%)       2. कर्नाटक (20%)

      3. मध्यप्रदेश (11%)    4. महाराष्ट्र (02%)

बॉक्साइट –

–  बॉक्साइट अयस्क का प्रयोग एल्युमीनियम बनाने चमड़ा रंगने, पेट्रोल एवं नमक साफ करने में किया जाता है।

–  भारत में यह क्रिटेशस युगीन संरचना में पाया जाता है। इसकी उत्पत्ति का संबंध क्रिटेशस युगीन चट्टानों के लैटेराइजेशन से है।

प्रमुख क्षेत्र :-

1. ओडिशा – कालाहांड़ी, रायगढ़, कंधामल तथा कोरापुट जिला

2. तेंलगाना – उत्तर – पूर्वी क्षेत्र

3. मध्यप्रदेश –

      1. कटनी- जबलपुर- बरगावान पहाड़ी क्षेत्र

      2. अमरकंटक – राहडोर क्षेत्र तथा मांडला जिला 4. झारखंड – पलामू एवं लोहरदगा जिला

      5. गुजरात – जामनगर, कच्छ एवं जूनागढ़

      6. तमिलनाडु – सेलाम (शिवराय पहाड़ी) एवं नीलगिरी सेलम।

बॉक्साइट का संचित भंडार क्रम (राज्यवार)

      1. ओडिशा (53%)

      2. आंध्रप्रदेश (16%)

      3. गुजरात (8%)

      4. झारखंड (5%)

बॉक्साइट का उत्पादन क्रम (राज्यवार)

      1. ओडिशा (42%)

      2. गुजरात (25%)

      3. महाराष्ट्र (12%)

      4. झारखंड (9%)

तांबा-

–  तांबा का प्रयोग बिजली के तार, मशीन, रेडिओ, टेलीफोन, मिश्र धातु आदि बनाने में किया जाता है।

–  भारत में तांबा प्राचीन रवेदार कुडप्पा एवं अरावली संरचना (धारावाड़ क्रम) में पाए जाते है।

तांबा उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र:-

      1. झारखंड – मोसाबनी, राखा, सोनामाखी, घाटशिला, पथरगोड्डा, सुरदा (पूर्वी सिंह भूम जिला)

      2. राजस्थान – खेतड़ी का मंडन – कूंदन क्षेत्र (झुंझुनूं जिला) खो- दरीबा क्षेत्र (अलवर)

      3. आंध्रप्रदेश – अग्निगुंडाला क्षेत्र (गूंटुर जिला)

      4. मध्यप्रदेश – मलजखंड क्षेत्र (बालाघाट जिला)

      5. सिक्किम – रांगपो, डिक्यू क्षेत्र

–    घाटशिला, खेतड़ी, मलजखंड में खनन के अलावा – ताम्रशोधन केन्द्र भी है।

तांबा संचित भंडार क्रम (राज्यवार)

      1. राजस्थान – (53.5%)   2. झारखंड़ – (20%)

      3. मध्यप्रदेश – (19%)  4. आंध्रप्रदेश  

तांबा उत्पादन क्रम (राज्यवार)

      1. तमिलनाडु – (63%) 2. झारखंड़ – (36%)

      3. ओडिशा

–  भारत में तांबे की कमी है।

–   USA, कनाड़ा, जाम्बिया आदि देशों से इसका आयात किया जाता है।

अभ्रक :-

         भारत में विश्व के लगभभ 60% अभ्रक का उत्पादन होता है। अभ्रक आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों में शीट के रूप में पाया जाता है।

–  उपयोग – इलेक्ट्रानिक्स निर्माण, ताप भट्टियों में, सजावटी सामान बनाने व सुरक्षा उद्योग में प्रयुक्त होता है।

–  अभ्रक के तीन प्रकार है-

      1. रूबी अभ्रक – सफेद अभ्रक

      2. मस्कोवाइट अभ्रक – हल्का गुलाबी

      3. बायोटाइट अभ्रक काला या गहरे रंग का अभ्रक

अभ्रक के प्रमुख क्षेत्र:-

1. झारंखड – कोडरमा, गिरिडीह एवं हजारीबाग

2. बिहार – नवादा – गया क्षेत्र में जो कोडरमा से सटा है।

3. आंध्रप्रदेश – नेल्लौर, विशाखापटनम एवं कृष्णा

4. राजस्थान – जयपुर, उदयपुर एवं भीलवाड़ा जिला

अभ्रक संचित भंडार क्रम (राज्यवार)

      1. आंध्रप्रदेश (41%)    2. राजस्थान (21%)

      3. ओडिशा (20%)

अभ्रक उत्पादन क्रम (राज्यवार)

      1. आंध्रप्रदेश (99%)

      2. राजस्थान

      3. झारखंड

सोना:-

भारत का अधिकतर सोना धारवाड़ संरचना के शिष्ट शैलों की क्वार्ट्स शिराओं में मिलता है।

– इसे धातु रेखा भंडार कहा जाता है।

– देश का कुछ सोना नदियों के बालू में पाया जाता है, इन्हें प्लेसर भंडार कहते है।

–  प्लेसर सोना भंडार – स्वर्ण रेखा नदी, सोन नदी, स्वर्णवत्ती नदी, सिंधु नदी से प्राप्त होता है।

सोना उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र-

1.  कर्नाटक –

–  चैम्पियन एवं ओरोगन रीफ (कोलार जिला)

– ओकले रीफ (हट्टी क्षेत्र, रायचुर जिला)

– देश का लगभग 99% सोना कर्नाटक के खानों से प्राप्त होता है।

2. आन्ध्र प्रदेश – रामगिरी स्वर्ण क्षेत्र (अनंतपुर जिला)

चाँदी:-

–  चाँदी विद्युत की सर्वोत्तम सुचालक होती है।

–  मुख्य अयस्क – अर्गनाहाइट, पाइराजाइराइट व हार्न सिल्वर है।

–  चाँदी सामान्यत: जस्ता, सीसा एवं तांबा आदि अयस्कों के साथ मिश्रित रूप में पायी जाती है।

–  राजस्थान का जावर क्षेत्र, कर्नाटक का कोलार एवं चित्रदुर्ग क्षेत्र, आन्ध्रप्रदेश का कुड़प्पा, गुंटूर एवं कुर्नूल क्षेत्र चाँदी के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।

–  वर्तमान में देश के 99% चाँदी का उत्पादन राजस्थान से हो रहा है।

हीरा:-

– हीरा एक बहुमूल्य पत्थर है जो रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप है।

– हीरा उत्पादन का कार्य देश में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड द्वारा पन्ना (मध्यप्रदेश) में किया जाता है।

– देश में हीरे का संपूर्ण उत्पादन मध्यप्रदेश में ही होता है।

– मध्यप्रदेश में पन्ना की मझगवां (majhgawan) खान से हीरे का उत्पादन करता है।

हीरा के प्रमुख उत्पादन क्षेत्र है:-           

1.मध्यप्रदेश – पन्ना (जिला)

2. आंध्र प्रदेश –

      1. मुनीमाडुगु – बंगन मिश्र पिंडाश्म (कुर्नूल – जिला)

      2. वज्र करूर वक्री पादप (अनन्तपुर जिला)

      3. कृष्णा नदी घाटी का रेतीला क्षेत्र

सीसा:-

      सीसा का मुख्य अयस्क, गैलेना, पाइरोटाइट है। यह चूना पत्थर एवं बलुआ पत्थर के परतदार चट्टानों में पाया जाता है।

– सीसा उत्पादन हेतु राजस्थान का जावर क्षेत्र (उदयपुर) प्रसिद्ध है।

– देश में सीसे का सम्पूर्ण उत्पादन राजस्थान से होता है।

जस्ता:-           

– जस्ते के अयस्क – कैलेमीन, जिकांइट व विलेमाइट

– इसका उपयोग गेलवेलाइजेशन में, टायर एवं शुष्क – बैटरी उद्योग में किया जाता है।

– राजस्थान का उदयपुर (मोछिया – मगरा क्षेत्र)

      राजसमंद एवं चित्तौड़ प्रमुख जस्ता उत्पादक क्षेत्र है।

– देश में जस्ते का लगभग सम्पूर्ण उत्पादन राजस्थान में ही होता है।

क्रोमाइट:-

–  क्रोमाइट क्रोमियम का प्रमुख अयस्क है।

–  क्रोमाइट रिफ्रेक्टरी उद्योग व धातुकर्म उद्योग में प्रयुक्त होता है।

–  भारत का लगभग 96% क्रोमाइट भंडार ओडिशा के कटक जिले का सुकिंदा क्षेत्र उच्च कोटि के क्रोमाइट हेतु प्रसिद्ध है। क्योंझर एवं धेनक सीमित मात्रा में क्रोमाइट मिलता है।

–  क्रोमाइट के उत्पादन में ओडिशा की भागीदारी लगभग 90% है। शेष उत्पादन कर्नाटक के हसन जिले से होता है।

एस्बेस्टॉस:-

–  यह खनिज सीमेंट की चादरें, भवन निर्माण सामग्री व रासायनिक उद्योगों में प्रयुक्त होता है। इसे Rockwool या Mineral Silk भी कहा जाता है।

–  एस्बेस्टॉस एक रेशेदार सिलिकेट खनिज है। यह अग्नि एवं विद्युत का कुचालक होता है।

–  एस्बेस्टॉस के उत्पादन हेतु राजस्थान का अजमेर, भीलवाड़ा, अलवर एवं उदयपुर क्षेत्र

–  आंध्र प्रदेश का कुडप्पा, अनंतपुर, तेलंगाना का महबूबनगर तथा झारखंड – सिंह भूम क्षेत्र प्रमुख है।

डोलोमाइट:-

      यह चूना-पत्थर  एवं मैग्नीशियम का मिश्रण होता है।

      प्रमुख क्षेत्र:-       

      1. आंध्रप्रदेश – कुडप्पा, कुर्नूल, अनन्तपुर

      2. ओडिशा- बीरमित्रपुर (सुंदरगढ़) सम्बलपुर, कोरापुट

      3. मध्यप्रदेश – झाबुआ, बालाघाट, जबलपुर

      4. छत्तीसगढ़- विलासपुर, दुर्ग

–  डोलोमाइट के उत्पादन में छत्तीसगढ़ (36%) का प्रथम स्थान है। इसके बाद क्रमश: आन्ध्रप्रदेश (10%) एवं ओडिशा (9%) का स्थान है।

चूना-पत्थर:-

–  चूना-पत्थर प्राय: कुडप्पा एवं विंध्यन शैल समूहों में मिलते हैं। इसका उपयोग मुख्यत: सीमेंट उद्योग में होता है।

– मध्यप्रदेश का सतना, जबलपुर, कटनी क्षेत्र

–   छत्तीसगढ़ का रायपुर, महासमंद, दुर्ग एवं विलासपुर क्षेत्र

–  आंध्रप्रदेश का कुडप्पा एवं गुटूंर क्षेत्र

–  तेलंगाना का आदिलाबाद एवं करीमनगर क्षेत्र

–  राजस्थान – चित्तौड़गढ़, अजमेर, सिरोही एवं उदयपुर

–   गुजरात – जूनागढ़ एवं जामनगर क्षेत्र चूना – पत्थर उत्पादन हेतु प्रमुख है।

चूना-पत्थर का उत्पादन क्रम (राज्यवार)

1. राजस्थान (21%)

2. मध्यप्रदेश (18%)

3. आन्ध्रप्रदेश (12%)

4. गुजरात (9%)

जिप्सम :-

      जिप्सम को हरसौंठ, सेलेनाइट, खड़िया भी कहा जाता है। यह एक परतदार खनिज है।

उपयोग:-

      इस खनिज का उपयोग मुख्यत: – उर्वरक, प्लास्टर ऑफ पेरिस, गंधक के अम्ल, सीमेंट रासायनिक पदार्थो के निर्माण तथा क्षारीय भूमि के उपचार हेतु प्रयुक्त होता है।

उत्पादन:-

      जिप्सम के उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है, देश का 99% उत्पादन यही पर होता है।

– राजस्थान के बाद जम्मू-कश्मीर का द्वितीय स्थान है। गुजरात, तमिलनाडु अन्य उत्पादक राज्य है।

प्रमुख उत्पादन केन्द्र :-

      1. राजस्थान – नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, गंगानगर जिला

      2. जम्मू-कश्मीर – उरी, बारामूला, डोडा जिला

      3. तमिलनाडु – तिरूचिरापल्ली, कोंयम्बटूर जिला

संगमरमर:-

– संगमरमर प्रमुख इमारती पत्थर है। यह ‘लघु खनिज’ की श्रेणी में आता है। यह एक कायान्तरित चट्टान है।

–  इसका उपयोग मुख्यत: भवन निर्माण में होता है।

प्रमुख क्षेत्र :-

      राजस्थान – मकराना (नागौर), राजसमंद, जैसलमेर, अजमेर

      मध्यप्रदेश – जबलपुर, बैतूल

      आंध्रप्रदेश – विशाखापट्नम

      हरियाणा – महेन्द्रगढ़

ग्रेनाइट:-

      ग्रेनाइट ‘लघु खनिज’ है। इसके सर्वाघिक भंडार कर्नाटक में है। इसके बाद क्रमश: राजस्थान, झारखंड एवं गुजरात का स्थान आता है।

–  वर्ष 2017-18 में ब्लेक/ रंगीन ग्रेनाइट का सर्वाधिक उत्पादन क्रमश: राजस्थान, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश व गुजरात में हुआ है।

–  विश्व में ग्रेनाइट का सर्वाधिक उत्पादन क्रमश: चीन, ब्राजील व भारत में होता है।

टंगस्टन:-

      टंगस्टन का मुख्य अयस्क वोलफ्रामाइट या शीलाइट है। टंगस्टन कठारे, भारी एवं उच्च गलनांक वाली नाली धातु है, जिसका मुख्य उपयोग विद्युत बल्बों में एवं कठोर धातुओं को काटने वाले यंत्रों में किया जाता है।

–   टंगस्टन के उत्पादन हेतु राजस्थान का डेगाना (नागौर), बाल्दा (सिरोही) प्रसिद्ध है।

–  भारत में टंगस्टन के सर्वाधिक भंडार- कर्नाटक, राजस्थान आंध्र प्रदेश में है।

टिन:-

      टिन का मुख्य अयस्क केसीट्राइट (Sno2) है टिन मुख्यत: ग्रेनाइट, पैग्मेटाइट व क्वाट् र्ज के साथ पाया जाता है।

–  टिन कन्सन्ड्रेड का भारत में एकमात्र उत्पादन राज्रू छत्तीसगढ़ है।

–  टिन के भंडार भारत में केवल छत्तीसगढ़ में बस्तर व दाँतेवाड़ा (जिला) में होता है।

–  भिवानी (हरियाणा) व मलकानगिरी (ओड़िशा) में पाये जाते है।

Leave a Comment

CONTENTS