व्यापार

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  • अर्थ – किमत लेकर दुसरों को उनकी आवश्यकता की वस्तुएँ बेचना और इस तरह का जीविकोपार्जन करना।
  • राजस्थान के व्यापार में कृषि और उससे सम्बन्धित उत्पादों की अधिकता रहती हैं।
  • राज्य से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में प्रमुख स्थान जवाहरात एवं आभूषणों का है जो राज्य के निर्यात किए जाने वाले कुल मूल्य का 15 प्रतिशत हैं।

प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ

जवाहरात एवं आभूषण –

  • राज्य में जवाहरात के क्षेत्र में जयपुर का प्रमुख स्थान हैं।
  • राज्य के जवाहरात उद्योग के सम्मुख अनेक समस्याएँ है जैसे – हाथ से जेवर या नगीना तरासने वाले कलाकार आधुनिक मशीनों के प्रति उदासीन हैं। जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा जवाहरात हेतु कच्चे माल की उपलब्धता में कमी तथा लालफीताशाही एवं सरकारी तंत्र की अक्षमताएँ प्रमुख हैं।

वस्त्र उद्योग –

  • राज्य में कोटा का डोरिया, मसूरिया, जोधपुर, जयपुर, सीकर आदि की बंधेज बाड़मेर, सांगानेर तथा नाथद्वारा आदि के छपाई के वस्त्र, बीकानेर का मूठड़ा, बगरू आदि प्रमुख हैं।
  • वर्तमान में इनकी लोकप्रियता घट रही हैं। इनमें कच्चे रंगों का प्रयोग होने लगा हैं।
  • परम्परागत वस्त्रों को नये तरीके से विकसित करके वस्त्र उद्योग के निर्यात में वृद्धि की जा सकती हैं।

कृषि उत्पाद –

  • राजस्थान विश्व की कुल मांग का 60 प्रतिशत ग्वारगम पाउडर तथा दाल उपलब्ध करवाता हैं।
  • राज्य के प्रमुख कृषि उत्पादों में चावल, दाल, कच्ची कपास, ग्वारगम पाउडर, धनिया, मैथी, अजवाइन, मेहन्दी आदि प्रमुख हैं।

खनिज उत्पाद –

  • राजस्थान में कई दुर्लभ खनिज पाये जाते हैं।
  • राजस्थान से संगमरमर का निर्यात नेपाल, बांग्लादेश, जापान, मॉरीशस, जर्मनी आदि देशों को किया जाता हैं।
  • फेल्सपार – मलेशिया, सिंगापुर, इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स, कुवैत, इटली, जापान आदि देशों को निर्यात किया जाता हैं।
  • स्लेट स्टोन – इंग्लैण्ड, जापान, इटली, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों को निर्यात किया जाता हैं।
  • राजस्थान द्वारा निर्यातित अन्य खनिज पदार्थ – टेल्क, क्वार्ट्ज।

खाद्य पदार्थ –

  • राज्य में बड़ी संख्या में पशुधन पाए जाते हैं जिस कारण राज्य से चमड़ा एवं चमड़े से निर्मित वस्त्रों का निर्यात किया जाता हैं।
  • राजस्थान दुग्ध उत्पादों से बने खाद्य पदार्थों का निर्यात करता हैं।

हस्तकलाएँ –

  • राजस्थान धातुओं एवं पत्थरों से निर्मित मूर्तियाँ, हाथी दाँत से निर्मित कलाकृतियाें, पीतल पर नक्काशी, लाख से निर्मित चुड़ीयाँ आदि हस्तशिल्प की प्रमुख वस्तुएँ हैं।
  • बीकानेर का ऊन विश्व प्रसिद्ध हैं।

विनिर्मित वस्तुएँ –

  • रेयन, टायर, ऊनी वस्त्र, प्रशोधित माँस, रासायनिक पदार्थ, दवाईयाँ, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रोनिक वस्तुएँ आदि राज्य से निर्यात होने वाली विनिर्मित वस्तुएँ हैं।

निर्यात की संभावनाएँ

  • आजादी के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था औद्योगीकरण के प्रभाव के कारण कृषि से आगे बढ़ते हुए औद्योगिक उत्पादों के निर्यात की तरफ उन्मुख हुई हैं।
  • राज्य के अन्दर मार्बल, पर्यटन, ग्रेनाइट, वस्त्र, रत्न, रेडिमेड, हस्तशिल्प आदि उद्योगों ने प्रगति की हैं।
  • मकराना, किशनगढ़, उदयपुर, राजसमन्द आदि मार्बल और ग्रेनाइट निर्यात के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
  • जयपुर देश में मुम्बई व सुरत के बाद तीसरी सबसे बड़ी रत्न मण्डी हैं।
  • राजस्थान का हस्तशिल्प उद्योग विश्वविख्यात हैं।
  • मल्टी फाइबर एग्रीमेन्ट के राज्य में लागू होने के बाद राज्य के वस्त्र उद्योग के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • जयपुर के सांगानेर में ‘एयर कार्गो कॉम्पलेक्स’ की स्थापना के बाद औद्योगिक निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात नियमों का सरलीकरण किया गया हैं।

राज्य में निर्यात संवर्धन के सरकारी प्रयास

निर्यात संवर्धन औद्योगिक पार्क –

  • इसकी स्थापना सीतापुरा जयपुर में की गई हैं।
  • ये देश का प्रथम निर्यात संवर्धन औद्योगिक केन्द्र हैं।
  • उद्देश्य – निर्यात आधारित उद्योगों को निर्यात से संबंधित सुविधाएँ एक ही जगह पर उपलब्ध करवाना।

निर्यात संवर्धन परिषद् –

  • इस परिषद् का मुख्य कार्य निर्यात को बढ़ावा देने हेतु सुझाव देना तथा निर्यातकों की समस्याअों का समाधान करना हैं।

निर्यात प्रोत्साहन कक्ष –

  • इसका प्रमुख उद्देश्य निर्यातकों को आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करवाना तथा निर्यात को बढ़ावा देना हैं।

सूचना तकनीकी पार्क –

  • इसकी स्थापना सीतापुरा, जयपुर में की गई हैं।
  • यहाँ उपग्रहों के माध्यम से संचार सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं।

जेम स्टोन औद्योगिक पार्क –

  • रत्न एवं आभूषणों के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु जयपुर में इसकी स्थापना की गई।

इमारती पत्थर विकास केन्द्र –

  • इसकी स्थापना जयपुर के सीतापुरा में की गई हैं। यहाँ द्विवार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय स्टोन मेला आयोजित किया जाता हैं।

राजस्थान में व्यापार का भविष्य

  • वर्तमान में राज्य में सूती, ऊनी कपड़ा, गलीचे, दवाईयाँ व रासायनिक खाद, चमड़े के सामान तथा मशीनों आदि के निर्यात की सम्भावनाएँ हैं।
  • राज्य द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने हेतु अवरोधक सरकारी नियन्त्रण समाप्त किए जाने चाहिए।

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