राजपूतों की उत्पत्ति

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  • 7 वीं से 12 वीं शताब्दी तक का समय ‘राजपूत काल’ के नाम से जाना जाता है।
  • इस काल में अनेक राजपूत वंशो ने अपनी सत्ताएं स्थापित की जिनमें गुर्जर-प्रतिहार, चौहान, प्रतिहार, परमार, गुहिल, राठौड़ आदि प्रमुख है।
  • राजपूत वंश की उत्पत्ति को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार इन्हें भारतीय मानते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इन्हें विदेशी जातियों से संबंधित करते हैं।

राजपूतों की उत्पत्ति को निम्न दो मतों में विभाजित किया जाता है-

  1. राजपूतों की देशीय उत्पत्ति का सिद्धांत
  2. राजपूतों की विदेशी उत्पत्ति का सिद्धांत

1.  राजपूतों की देशीय उत्पत्ति का सिद्धांत             

अग्निकुंड से उत्पत्ति :-

  • चन्द्रबरदाई के ग्रंथ ‘पृथ्वीराज रासौ’ के अनुसार महर्षि वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ के अग्निकुंड से राजपूतों के चार वंश- गुर्जर-प्रतिहार, चालुक्य, परमार तथा चौहानों की उत्पत्ति हुई।
  • इस मत का समर्थन मुहणौत नैणसी तथा सूर्यमल्ल मिश्रण द्वारा किया गया।   

प्राचीन क्षत्रियाें की संतान :-

  • इस मत काे सर्वमान्य माना जाता है।
  1. सूर्यवंशी एवं चंद्रवंशी :- इस मत के समर्थक पण्डित गौरीशंकर हीराचंद औझा तथा दशरथ शर्मा है। इनके अनुसार राजपूत प्राचीन सूर्यवंशी एवं चंद्रवंशी क्षत्रियों की संतान है।
  2. वैदिक आर्यों की संतान :- इस मत के समर्थक सी.वी. वैद्य है। इनके अनुसार राजपूत विशुद्ध वैदिक कालीन क्षत्रिय है।

ब्राह्मण वंशीय मत :-   

  • इस मत के समर्थक डॉ. डी. आर भण्डारकर तथा डॉ. गोपीनाथ शर्मा है।
  • डॉ. भण्डारकर बिजौलिया शिलालेख का प्रमाण देते हैं जिसमें वासुदेव चौहान को वत्सगौत्रीय ब्राह्मण बताया गया है।
  • डॉ. गोपीनाथ शर्मा ने इस संबंध में कुंभलगढ़ प्रशस्ति की द्वितीय पटि्टका का उल्लेख किया है जिसमें बापा रावल को आनंदपुर के ब्राह्मण वंश से संबंधित किया गया है।

मिश्रित अवधारणा :-

  • इस मत के समर्थक देवीप्रसाद चट्‌टोपाध्याय है।

सामाजिक आर्थिक प्रक्रिया की उपज :- 

  • श्री ब्रजलाल चट्‌टोपाध्याय ने राजपूतों को मध्यकाल में सामाजिक-आर्थिक प्रक्रिया की उपज माना है।

प्राचीन आदिम जातियों के वंशज :-  

  • इस मत के समर्थक वी.ए. स्मिथ है।
  • इन्होंने राजपूतों को प्राचीन आदिम जातियों- गोंड, खोखर, भर आदि का वंशज माना है।

2. राजपूतों की विदेशी उत्पत्ति का सिद्धांत         

शक-सीथियन की संतान :-

  • कर्नल जेम्स टॉड ने राजपूतों को विदेशी शक एवं सीथियन जातियों की संतान माना है।
  • इसके अलावा इस मत का समर्थन जेम्स टॉड की पुस्तक के सम्पादक विलियम क्रुक करते हैं।

शक-यूची-गुर्जर-हूण जाति के वंशज:-

  • इस मत का समर्थन वी.ए. स्मिथ ने किया है।

यू-ची (कुषाण) जाति के वंशज :- 

  • ब्रोचगुर्जर ताम्रपत्र के आधार पर कनिंघम ने इस मत का समर्थन किया है।

गुर्जर वंशीय मत :-

  • इस मत के समर्थक डॉ. डी. आर. भण्डारकर तथा डॉ. ईश्वरी प्रसाद है।
  • ये गुर्जरों को श्वेत हूण (विदेशी) मानते हैं।
मतसमर्थक
देशीय उत्पत्ति
i. अग्निकुण्ड सिद्धांतचन्द्रबरदाई, मुहणोत नैणसी, सूर्यमल्ल मिश्रण
ii. प्राचीन क्षत्रियों की संतानडाॅ. जी.एच. ओझा, डॉ. दशरथ शर्मा
iii. वैदिक आर्यों की संतानसी.वी. वैद्य
iv. ब्राह्मण वंशीय मतडॉ. भंडारकर, डॉ. गोपीनाथ शर्मा
v. मिश्रित उत्पत्ति का सिद्धांतडॉ. देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय
vi. प्राचीन आदिम जातियों के वंशजवी.ए. स्मिथ
विदेशी उत्पत्ति
i. शक-सीथियन जाति सेकर्नल जेम्स टॉड, विलियम क्रुक
ii. गुर्जर वंशीय श्वेत हूणों सेडॉ. भंडारकर, डॉ. ईश्वरी प्रसाद
iii. यू-ची जाति सेकनिंघम
iv. शक-यूची-गुर्जर-हूणवी.ए. स्मिथ

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