भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872, की धारा (53 ए) :- भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की घारा 354, 354 क, 354 ख, 354 ग, 354 घ व 376 , 376 ए, 376 ए बी, 376 बी, 376 सी, 376 डी, 376 डी ए, 376 डी बी, 376 ई के अधीन किसी अपराध के लिए किसी अभियोजन में या किसी ऐसे अपराध के करने के प्रयत्न के लिए सम्मति का विवाद्य है। वहाँ पीडिता के आचरण या ऐसे व्यक्ति को किसी व्यक्ति के साथ पूर्व लैंगिक अनुभव का साक्ष्य ऐसी सम्मति या सम्मति की गुणता के मुददे पर सुसंगत नहीं होगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872, की धारा (114 ए) :- भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 376 , 376 ए, 376 ए बी, 376 बी, 376 सी, 376 डी, 376 डी ए, 376 डी बी, 376 ई के अधीन किसी अभियोजन में जहाँ अभियुक्त द्वारा मैथुन किया जाना साबित हो जाता है। और प्रश्न यह है कि क्या वह उस स्त्री की, जिसके बारे में यह अभिकथन किया गया है कि उससे बलात्संग किया गया है, सम्मति के बिना किया गया है और ऐसी स्त्री अपने साक्ष्य में न्यायालय के समक्ष यह कथन करती है कि उसने सम्मति नहीं दी थी, वहाँ न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि उसने सम्मति नहीं दी थी।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872, की धारा (114 बी) :- भारतीय दण्ड संहिता (1860) की घारा 354, 354 क, 354 ख, 354 ग, 354 घ व धारा 509, 509 क, 509 ख के अन्तर्गत किसी व्यक्ति ने अपराध कारित किया है और यदि पीडित न्यायालय के समक्ष यह कथन करती है कि उसका यौन उत्पीडन हुआ या उसकी लज्जा भंग हुई है अथवा उसके कपड़े उतारे गये है अथवा उसका पीछा किया गया है या उसकी निष्ठा में हस्तक्षेप किया गया अथवा वह किन्हीं साधानों द्वारा यौन उत्पीडित की गई है। वहाँ न्यायालय जब तक कि विपरीत साबित ना हो तब तक यह उप धारणा कर सकेगा कि ऐसा अपराध उस व्यक्ति द्वारा कारित किया गया।

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