भारतीय दंड संहिता, 1860

Estimated reading: 1 minute 121 views

भारतीय दंड संहिता 1860– भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी)1860 एक व्यापक कानून है जो भारत में आपराधिक कानून के वास्तविक पहलुओं को शामिल करता है। यह भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गए अपराधों के बारे में बताता है एवं उनमें से प्रत्येक के लिए सजा और जुर्माना बताता है। भारतीय दंड संहिता पूरे भारत में लागू है।

इस संहिता में महिलाओं को विशेषाधिकार प्राप्त हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 354- स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, धारा 354-ए- यौन उत्पीड़न के लिए सजा, धारा 354-बी- बल पूर्वक या हमले द्वारा किसी स्त्री को नग्न करना या नग्न होने के लिए विवश करना, धारा 354 सी- तांक-झांक करना, धारा 354-डी पीछा करना एवं धारा 509- शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है। इन सभी धाराओं में महिला के होने वाले अपराधों के लिए कठोर कारावास की सजा या जुर्माना या दोनों लगायें जा सकते हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा को सुरक्षित करना है।

भारतीय दण्ड संहिता संशोधित अधिनियम 2018:- देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों (खास कर यौन उत्पीड़न) के लिए सख्त सजा सुनिश्चित करने के लिए देश भर में ये कानून लागू किया गया है। नए कानून में बलात्कार की परिभाषा को व्यापक बनाते हुए इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। बलात्कार के मामले में पीड़ित की मौत हो जाने या उसके स्थायी रूप से मृतप्राय हो जाने की स्थिति में मौत की सजा का प्रावधान भी इस कानून में किया गया है। सामूहिक बलात्कार की स्थिति में दोषियों के लिए धारा 376 डी के तहत सजा की अवधि न्यूनतम 20 वर्ष रखी गयी है, जो आजीवन कारावास तक हो सकती है। कानून में सहमति से यौन सम्बन्ध बनाने की उम्र 18 साल तय की गयी है। महिलाओं का पीछा करने एवं तांक-झाँक पर कड़े दंड का प्रावधान है। ऐसे मामले में पहली बार में गलती हो सकती है, इसलिए इसे जमानती रखा गया है, लेकिन दूसरी बार ऐसा करने पर इसे गैर जमानती बनाया गया है । तेजाबी हमला करने वालों के लिए 10 वर्ष की सजा का भी कानून में प्रावधान किया गया है। इसमें पीड़ित को आत्मरक्षा का अधिकार प्रदान करते हुए, तेजाब हमले की अपराध के रूप में व्याख्या की गयी है । साथ ही यह प्रावधान किया गया है कि सभी अस्पताल बलात्कार या तेजाब हमला पीड़ितों को तुरंत प्राथमिक सहायता या निशुल्क उपचार उपलब्ध करायेंगे और ऐसा करने में विफल रहने पर उन्हें सजा का सामना करना पड़ेगा। कानून में कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान है, जो प्राकृतिक जीवन-काल तक के लिए बढ़ाई जा सकती है और यदि दोषी व्यक्ति पुलिस अधिकारी, लोकसेवक, शस्त्र बलों या प्रबंधन या अस्पताल का कर्मचारी है तो उसे जुर्माने का भी सामना करना पड़ेगा। कानून में भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन किया गया है जिसके तहत बलात्कार पीड़िता को, यदि वह अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हो जाती है तो उसे अपना बयान दुभाषियों या विशेष एजुकेटर की मदद से न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराने की अनुमति दी गयी है। ये अधिनियम संशोधित भारतीय दंड संहिता का एक अंग हैं।

दंड प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी) 1973 – दंड प्रक्रिया संहिता 1973 भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्वयन के लिए मुख्य कानून है। 1973 में पारित होकर यह कानून 1974 में लागू हुआ। दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत, हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है। एक प्रक्रिया पीड़ित के सम्बन्ध में और दूसरी आरोपी के सम्बन्ध में। दंड प्रक्रिया संहिता/ सी.आर.पी.सी में इन दोनों प्रक्रियाओं का ब्यौरा दिया जाता है।

इस कानून की धारा 376- बलात्कार, धारा 376 ए- स्त्री के साथ, उसकी सहमति या सहमति के बिना, डरा धमकाकर, या उसके प्रियजनों की मृत्यु का भय दिखाकर उसके साथ किया गया बलात्कार, जिसके कारण उस स्त्री को कोई गंभीर क्षति पहुँचती है, या उसकी मृत्यु हो जाती है, धारा 376 बी-, पति द्वारा पत्नी से अलग होने की स्थिति में पति द्वारा पत्नी की सहमति के बिना उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाना, बलात्कार माना जायेगा, धारा 376 ए बी- 12 वर्ष से कम उम्र की स्त्री के साथ बलात्कार, धारा 376 सी- किसी अधिकारी, लोक सेवक, जेल, रिमांड होम, अभिरक्षा के किसी अन्य स्थान, स्त्रियों या बालकों की संस्था का अधीक्षक या प्रबंधक, या अस्पताल का कर्मचारी होते हुए, ऐसी किसी स्त्री जो उसकी अभिरक्षा में है या अधीन है या परिसर में उपस्थित है उस स्त्री के साथ यौन अपराध कारित करना, धारा 376 डी- एक या एक से अधिक व्यक्ति द्वारा किसी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार, धारा 376 डी ए- 16 वर्ष से कम उम्र की महिला का एक या एक से अधिक व्यक्ति द्वारा मिलकर सामूहिक बलात्कार , धारा 376 डी बी-12 वर्ष से कम उम्र की महिला का एक या एक से अधिक व्यक्ति द्वारा मिलकर सामूहिक बलात्कार, धारा 376 ई- भारतीय दंड संहिता की धारा 376. 376 ए, या 376 डी, के अधीन दंडनीय किसी अपराधों के लिए पहले कभी दण्डित किया गया हो और बलात्कार के अपराध में 376, 376 ए, 376 बी, 376 सी, 376 डी में बताये गए किसी भी अपराध की पुनरावति करता है, इन सभी धाराओं में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान है। जैसे किसी भी महिला आरोपी को बिना किसी महिला कांस्टेबल के शाम 6 बजे के बाद अथवा सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता ।

Leave a Comment

CONTENTS