महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013

Estimated reading: 0 minutes 123 views

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 – वर्ष 2013 में पारित इस अधिनियम के अनुसार, किसी भी ऐसी संस्था जिसमें 10 या 10 से अधिक लोग काम करते हैं, वहाँ आन्तरिक परिवाद समिति का गठन किया गया है। ऐसी संस्थाओं में महिला के साथ हुए किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न को एक अपराध माना गया है। ये अधिनियम विशाखा केस में दिए गए लगभग सभी निर्देशों को धारण एवं प्रावधानों को निहित करता है। जैसे शिकायत समितियों को सबूत जुटाने में सिविल कोर्ट वाली शक्तियां प्रदान की हैं, यदि नियोक्ता अधिनियम के प्रावधानों को पूरा करने में असफल होता है तो उसे 50,000 रूपये तक का अर्थदंड भरना पड़ेगा। ये अधिनियम किसी भी महिला कर्मचारी, ग्राहक, उपभोक्ता, प्रशिक्षु और दैनिक मजदूरी पर कार्यस्थल में प्रवेश करने वाली या तदर्थ क्षमता में काम करने वाली महिलाओं को यह कानून सुरक्षा प्रदान करता है । इसके अतिरिक्त, कॉलेजों/ विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों, शोध छात्रों और अस्पतालों में रोगियों को भी कवर किया गया है। जांच की अवधि के दौरान महिला छुट्टी ले सकती है या स्थानान्तरण करवा सकती है। यह कानून, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता है। इस कानून में यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकारों को चिन्हित किया गया है और बताया गया है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की स्थिति में शिकायत किस प्रकार की जा सकती है । इस कानून के अंतर्गत किसी भी महिला के साथ, किसी भी कार्यस्थल पर (चाहे वह वहाँ काम करती हो या नहीं), किसी भी प्रकार का यौन उत्पीड़न हुआ हो तो उसे इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का अधिकार प्राप्त है।

Leave a Comment

CONTENTS