विधानसभा और विधान परिषद्‌ के बीच अंतर

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विधानसभा और विधान परिषद्‌ को संविधान के द्वारा अलग-अलग कार्य दिए गए हैं. यदि देखा जाए तो शक्ति और अधिकार के मामले में विधानसभा विधान परिषद्‌ से कहीं आगे है. वही हाल हमें केंद्र में देखने को मिलता है जहाँ लोक अर सभा से अधिक शक्तिशाली है. ऐसे कुछ ही मामले हैं जिनमें विधान परिषद्‌ विधानसभा की बराबरी कर सकती है.

विधान परिषद्‌ और विधानसभा की शक्तियाँ कहाँ-कहाँ बराबर हैं?

  1. साधारण विधेयकों को शुरू करना.
  2. मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करना. आपको जानना चाहिए कि मंत्री विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य हो सकते हैं.
  3. राज्यपाल जो अध्यादेश जारी करते हैं, उनको accept/reject करना.
  4. हर राज्य में कुछ संवैधानिक संस्थाएँ होती हैं जैसे राज्य वित्त आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग आदि

विधानसभा की शक्तियाँ विधान परिषद्‌ से किन मामलों में ज्यादा है?

  1. धन विधेयक केवल विधानसभा में ही आरम्भ किए जा सकते हैं. विधान परिषद्‌ धन विधेयक में न तो संशोधन कर सकती है और न उसे ख़ारिज कर सकती है. हाँ भले वह यदि चाहे तो धन विधेयक को 14 दिनों तक रोक सकती है या 14 दिनों के भीतर इसमें संशोधन से सम्बंधित सिफारिश भेज सकती है. विधानसभा इन सिफारिशों को स्वीकार भी कर सकती है और खारिज भी. हर स्थिति में विधानसभा की राय ही अंतिम मानी जाती है.
  2. वित्तीय विधेयक [अनुच्छेद 207 (1)] केवल विधानसभा में ही प्रस्तुत की जा सकता है. वैसे एक बार वित्तीय विधेयक प्रस्तुत हो गया तो दोनों सदनों की शक्तियाँ बराबर हो जाती है.
  3. कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, यह तय करने का अधिकार सिर्फ विधानसभा के अध्यक्ष के पास है.
  4. बजट को पारित करने के मामले में भी विधानसभा को परिषद्‌ की तुलना में अधिक अधिकार प्राप्त हैं. वह विभिन्न मंत्रालयों द्वारा माँगे गए अनुदानों (19115) पर विचार करती है और उन्हें पा भी करती है. विधान परिषद्‌ उन पर बहस तो कर सकती है पर पारित करने का अधिकार उसे प्राप्त नहीं है.
  5. यदि साधारण विधेयक की बात करें तो इस मामले में भी अंतिम शक्ति विधानसभा के ही पास है. यदि विधानसभा कोई विधेयक पारित कर दे तो विधानपरिषद उस विधेयक को अधिक से अधिक 4 महीने तक रोक सकती है – पहली बार 3 महीने और फिर दूसरी बार 1 महीना. देखा जाए तो विधानपरिषद विधेयक पास न हो, इसके लिए ही प्रयासरत नज़र आती है.
  6. मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होता है. विधानसभा अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा मंत्रिपरिषद को हटा भी सकती है. परन्तु विधानपरिषद के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है.
  7. विधानसभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं पर विधान परिषद्‌ के सदस्य इसमें भाग नहीं लें सकते.
  8. राज्यसभा के चुनाव में भी विधानसभा के सदस्य ही भाग लेते हैं नाकि विधान परिषद्‌ के सदस्य.
  9. विधान परिषद्‌ का सम्पूर्ण अस्तित्व विधानसभा के विवेक पर निर्भर करता है. यदि विधानसभा चाहे तो विधान परिषद को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए विशेष बहुमत से संकल्प पारित कर सकती है.

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