भारत में निर्वाचन आयोग

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भारत एक प्रजातन्त्रात्मक देश है. यहाँ प्रत्यक्ष मतदान द्वारा व्यवस्थापिका का संगठन किया जाता है. आम चुनाव के निष्पक्षतापूर्वक सम्पादन हेतु एक निर्वाचन आयोग की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार की गई है. निर्वाचन आयोग पर कार्यपालिका अथवा न्यायपालिका किसी का भी नियंत्रण नहीं होता है और यह आयोग निष्पक्षतापूर्वक अपने कार्य को संपन्न करता है.

नियुक्ति

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अधीन इसकी पति क्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. इसकी सहायता पहुँचाने के लिए पति पति अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी करता है. अुख्य चुनाव नाव आयुक्त को छोड़कर भारत में चुनाव आयुकतों की संख्या कितनी हो यह निर्धारित ना सात राष्ट्रपति का ही कार्य है. मुख्य चुनाव आयुक्त को पदच्युत करने के लिए उस प्रणाली को अपनाना होता है जिस प्रणाली को उच्चतम न्यायलाय के न्यायाधीश को पदच्युत करने के लिए अपनाना होता है. निर्वाचन आयोग के अन्य सदस्यों को राष्ट्रपति तभी पदच्युत करता है जब मुख्य चुनाव आयुक्त उससे इस प्रकार की सिफारिश करता है.

  1. मुख चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष तक होता है या 65 वर्ष की आयु तक होता है (इनमें से जो भी पहले हो).
  2. बडा चुनाव आयुक्त और अन्य आयुकतों का वेतन और पेंशन सुप्रीम कोर्ट के जज की सैलरी इतनी ही होती
  3. चुनाव आयुक्त अपना कार्य स्वयं के निर्णय और विवेक से करती है. यदि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुकतों के बीच यदि किस बात पर मतभेद हो तो ऐसे मामले बहुमत की राय के अनुसार तय किये जाते हैं.

भारत के संविधान ने यह सुनिश्चित किया है कि आयोग एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करेगा. मुख्य चुनाव आयुक्त को कोर्ट के न्यायाधीश के सामान संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है. दस शब्द में जब तक दो-तिहाई लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ अवास्तविक आचरण या अनुचित कार्रवाइयों के लिए वोट न कर दें, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाया नहीं जा सकता.

निर्वाचन आयोग के कार्य

भारत निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, विधान सभाओ, विधान परिषदों, निगमों, नगरपालिकाओं, जिला परिषदों, ग्राम पंचायतों आदि के निर्वाचनों का सच्चालन करता है.

निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग मुख्य रुप से निन्मनिक्तित कार्य संपन्न करता है: –

भारत के पाक पति और उप पति पति का चुनाव करना लोकसभा और विधान मंडलों के मतदाताओं वी सा तैयार करवाना और उनका निरीक्षण करना लोकसभा, राज्यसभाओं और विधानमंडलों के निर्वाचन की व्यवस्था, नियंत्रण और निरितिक्षण करना चुनाव के सम्बन्ध में जो वाद-विवाद अथवा संदेह उत्पन्न हों तो उनके निर्णय के लिए चुनाव न्यायालयों की नियुक्ति करना |

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