विदेशी निवासियों के विशेष दर्जे

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जो लोग विदेश में रहते हैं, उनको भारत सरकार नागरिकता से भिन्न एक विशेष दर्जा देती है, जिसका सम्बन्ध उस व्यक्ति को भारत सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से होता है. विशेष दर्जों में ये तीन दर्जे महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. अनिवासी भारतीय (NRI- Non-Residents Indians)
  2. भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO – Persons of Indian Origin)
  3. भारत के समुद्रपारीय नागरिक (OCI – Overseas Citizens of India)

अनिवासी भारतीय (NRI- Non-Residents Indians)

अनिवासी भारतीय भारत के ही नागरिक होते हैं और भारतीय पासपोर्ट धारण करते हैं. पर नौकरी/व्यवसाय आदि करने के लिए ये देश से बाहर ही रहते हैं. यदि कोई भारतीय जो देश के बाहर कुछ ज्यादा ही लम्बा रह गया या यूँ कहें कि उसकी मंशा अनिश्चित काल के तक भारत से बाहर रहने की है, तो उसे भी NRI का दर्जा दिया जाता है. भारत सरकार द्वारा संयुक्त हे संघ (UNO) तथा अन्य विदेशी नियुक्तियों पर भेजे गए व्यक्तियों को भी अनिवासी भारतीय का दर्जा दिया जाता है.

भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO – Persons of Indian Origin)

ये भारत के नागरिक नहीं होते. ये वे व्यक्ति होते हैं जो खुद या उनके पूर्वज भारत के नागरिक रहे हैं परन्तु वर्तमान में ये किसी और देश के नागरिक हैं. नियमों के अनुसार जिन व्यक्तियों के पास कभी भी भारतीय पासपोर्ट रहा है, या उसके parents या grandfathers/grandmothers में से कोई 1935 के भारत शासन अधिनियम” में पारिभाषित भारत या किसी ऐसे क्षेत्र जो कालान्तर में भारत का हिस्सा बन गया हो, तो उस व्यक्ति तथा उससे वैवाहिक सम्बन्धी (spouse) को भारतीय मूल का व्यक्ति PIO माना जाता है. यहाँ पर आपको बताता चलूँ कि जो व्यक्ति पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान या चीन का नागरिक है या कभी रहा है तो वह PIO की श्रेणी में शामिल नहीं हो सकता. भारत अगर चाहे तो अन्य देशों का नाम भी इस सूची में जोड़ सकती है.

भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए भारत सरकार ने 2002 में एक कार्ड जारी किया था जिसका नाम PIO Card था. इस कार्ड धारकों को कई विशेष सुविधाएँ प्रदान की गई थीं. “नागरिकता अधिनियम” के तहत व्यवस्था की गई है कि यदि कोई भारतीय मूल का व्यक्ति PIO भारत का नागरिक बनना चाहता है तो उसे कम से कम 7 वर्षों के लिए भारत में निवास करना होगा, तब जाकर भारत की नागरिकता के लिए वह आवेदन कर सकता है.

भारत के समुद्रपारीय नागरिक (OCI – OVERSEAS CITIZENS OF INDIA)

यह एक विशेष दर्जा है जो भारत सरकार ने 2005 से देना शुरू किया है. इससे सम्बंधित प्रावधान “नागरिकता अधिनियम, 1955” में अनुच्छेद 7(क),7 (ख), 7(ग) तथा 7(घ) में निर्देशित हैं. प्रावधान कुछ इस प्रकार हैं – OCI के लिए वही नागरिक eligible है जो पाकिस्तान या बांग्लादेश या भारत सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य देश का नागरिक न कभी था ञऔ न वर्तमान में होना चाहिए. साथ ही साथ नीचे दिए शर्तों को उसे पूरा करना होगा –

  1. यदि वह किसी अन्य देश का नागरिक है पर भारतीय संविधान लागू होते समय या उसके बाद कभी भारत का नागरिक रहा हो; अथवा-
  2. यदि वह किसी अन्य देश का नागरिक है किन्तु संविधान के प्रारम्भ होने के समय भारत का नागरिक होने की अर्हता रखता था; अथवा –
  3. यदि वह किसी दूसरे देश का नागरिक है पर किसी ऐसे क्षेत्र से सम्बन्ध रखता है जो 15 अगस्त, 1947 के पश्चात्‌ भारत का अंग बन गया है.
  4. यदि वह उपरोक्त तीनों वर्गों में शामिल हुए व्यक्ति का बेटा/बेटी/ या पोता/पोती/नाती/नातिन है.

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