शिक्षण-अधिगम सहायक सामग्री: महत्व, उद्देश्य एवं कार्य

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शिक्षण-अधिगमसहायक सामग्री

अध्यापन के दौरान पाठ्य सामग्री को समझाते समय शिक्षक जिन-2 सामग्रियों का प्रयोग करता है वह सहायक सामग्री कहलाती है। किन्तु आधुनिक षिक्षा प्रणाली में सहायक सामग्री के संबंध में कई नवाचार हुए है जिनकी सहायता से अध्ययन को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इन सामग्रियां द्वारा सीखा ज्ञान न केवल छात्रों में उत्साह जागृत करता है वरन्‌ सीखे हुए ज्ञान को लंबे समय तक अपने स्मृति पटल में संजोए रख सकता है। दूसरी और शिक्षक भी अपने अध्यापन के प्रति उत्साहित रहता है। परिणाम स्वरूप कक्षा का वातावरण हमेशा सकारात्मक बना रहता है।

आज वही शिक्षक छात्रों के लिए आदर्श होता है, और उसी शिक्षक का शिक्षण आदर्ष शिक्षण कहलाता है जो अपनी पाठ्य सामग्री को इन रोचक सहायक सामग्री के माध्यम से प्रस्तुत करता है। क्योंकि ये न केवल छात्रों का ध्यान केद्धित करती है बल्कि उन्हें उचित प्रेरणा भी देती है चाहे वह वास्तविक कु हो, चित्र, चार्ट या कोई तकनीकी उपकरण सभी से छात्रों के मस्तिष्क में एक बिंब निर्माण करता है। हम कह सकते है कि वर्तमान शिक्षण के अन्तर्गत अध्यापन में नवीनता लाने के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग शिक्षक के लिए बांछनीय ही नहीं अनिवार्य भी है।

परिभाषा –

सहायक सामग्री वह सामग्री है जो कक्षा में या अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या बोली गई पाठ्यसामग्री को समझने म सहायता प्रदान करती है। -डेण्ड के अनुसार [सार कोई भी ऐसी सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उद्दीप्त किया जा सके, अथवा श्रवणेन्द्रिय संवेदनाओं के द्वारा आगे बढ़ाया जा सके वह सहायक सामग्री कहलाती है। -कार्टर ए सा उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सहायक सामग्री वह सामग्री, उपकरण तथा युक्तियाँ हैं जिनके प्रयोग करने से विभिन्न शिक्षण परिस्थितियों में छात्रों और समूहों के मध्य प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता है।

सहायक सामग्री का महत्व-

इसमें संदेह नहीं कि सहायक सामग्री अध्ययन को नई दिषा देती है। हम इन सामग्रियों के महत्व कोनिम्न बिंदुओं के आधार पर जान सकते हैं।

  1. सहायक सामग्री तिषय को स्थायी रूप से सीखने त समझने में सहायक होती है।
  2. जहाँ शिक्षक का मौखिक वक्तव्य कम प्रभाव उत्पन्न करता है वहीं दृष्य सामग्री पाठ को रोचकता प्रदान कर उसे बोध गम्य बनाती हैं |
  3. यह अनुभवों के दवारा ज्ञान प्रदान करती है।
  4. यह शिक्षक के समय व उर्जा दौनों की बचत करती है।
  5. यह विचारों को प्रवाहात्मकता प्रदान करती है।
  6. भाषा संबंधी कठिनाइयों को दूर करती है।
  7. अध्यापन रूचिकर होने से छात्र अधिक सक्रिय रहते है और पाठ को अधिक सरलता से ग्रहण करते हैं।
  8. इससे विद्यार्थी गतिविधियां मैं सक्रिय बने रहते है। अनुसंधान व परियोजना में बढ़कर हिस्सा लेते है।
  9. छात्रों की वस्तुओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने, छूने महसूस करने का अवसर मिलता है।
  10. वे प्राकृतिक व कृत्रिम वस्तुओं के तुलनात्मक भेद को जान पाते हैं।


सहायक साम्रग्री के उद्देश्य –

सहायक सामग्री का उपयोग निम्नांकित उद्दैश्य प्राप्ति हैतु किया जाता है-

  1. छात्रों में पाठ के प्रति रूचि जागृत करना।
  2. बालकों मं तथ्यात्मक सूचनाओं को रोचक ढंःग सै प्रस्तुत करना।
  3. सीखने की गति में सुधार करना।
  4. छात्रा को अधिक क्रियाषील बनाना।
  5. अभिरूचियों पर आषानुकूल प्रभाव डालना
  6. तीव्र एवं मंद बुद्धि छात्रों को योग्यतानुसार षिक्षा देना।
  7. जटिल विषयो को भी सरस रूप म ? प्रस्तुत करना।
  8. बालक का ध्यान अध्ययन (पाठ) की और केन्द्रित करना।
  9. अमूर्त पदार्थों को मूर्त रूप देना।
  10. बालकों की निरीक्षण षक्ति का विकास करना।


सहायक सामग्री के कार्य-

शिक्षण व्यवस्था मैं सहायक सामग्री का महत्वपूर्ण स्थान है, विशेषकर छोटी उम्र के विद्यार्थियों के लिए तो यह सहायक सामग्रियाँ विषेष महत्व रखती है। इसके इसी महत्व को इष्टिगत रखते हुए शिक्षाशास्त्रियों ने एकमत होकर शिक्षण हैतु इसे स्वीकार किया है। शिक्षण प्रक्रिया में सहायक सामग्री अपने कौन- कौन से दायित्व निभाती है, इसके कार्य क्या क्या है आइए देखैं-

1 प्रेरणा- सहायक सामग्री (दृष्य-श्रव्य] से सीखे हुए ज्ञान से छात्रों में उत्सुकता होती है साथ ही प्रयोग से सीखा ज्ञान उसे प्रैरणा प्रदान करता है।

2 क्रिया का सिद्धांत-इन सामग्रियों के प्रयोग से विदयार्थियों को नाना प्रकार की क्रियाएं करने का अवसर मिलता है। वह खेल-खैल में जटिल पाठयक्रम को भी आसानी से सीख लेते हैं।

3 स्पष्टीकरण- सहायक सामग्री के माध्यम से कठिन से कठिन पाठ्यवस्तु को प्रत्यक्ष देखकर छात्रों के मन में उठी शंकाओ का समाधान हो जाता हैं।

4 अनुभवयुक्‍त शिक्षण- कहते है रटे हुए ज्ञान से करके सीखा हुआ ज्ञान ज्यादा प्रभावषाली और लंबे समय तक याद रहता है। इससे छात्रों में
माँखिक चिंतन को भी प्रोत्साहन मिलता है।

5 शब्दकोशों में वृद्धि- रेडियों टेलीविजन, चलचित्र, भाषा प्रयोग षाला आदि को सुनते-2 बच्चे इनसे सुने शब्दों का अनुकरण करते है ये सामग्रियाँ उनके षब्दभंडार में वृद्धि करने के साथ-2 उसके अभिव्यक्ति कौषल को भी सुद्दद बनाती है।

6 शिक्षण में कुशत्रता – यै सामग्रियाँ शिक्षक को उसके अध्यापन प्रक्रिया में काफी मदद करती हैं, शिक्षक अपने विषय को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकता है।

« शिक्षण प्रक्रिया में पाठ्य-पुस्तक भूमिका

सहायक सामग्री प्रयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें:-

  1. यैसामग्रियाँ छात्रों के अनुभव, समझ, आयु, के अनुसार होना चाहिए।
  2. सामग्री पाठ्यवस्तु से संबंधित होनी चाहिए।
  3. सामग्री का चयन करते समय ध्यान रहैँ कि ये छात्रों मैं रूचि जागृत करने वाली हों।
  4. अनावश्यक सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  5. जितनी देर आवष्यक हो उतनी ही देर प्रयुकत की जानी चाहिए।
  6. सामग्री यदि नवाचार से जुडी व तकनीक से संबंधी है तो प्रयास होना चाहिए कि इस सामग्री का संचालन सरल होना चाहिए।
  7. जो सामग्री प्रयुक्त की जा रही है वह सही हालत मैं होना चाहिए।
  8. उपयोग से पूर्व शिक्षक को एक बार उस सामग्री का कृत्रिम वातावरण मैं अभ्यास कर लेना चाहिए।
  9. सामग्री के प्रभावषाली उपयोग के बारे मैं समस्त सावधानी ध्यानपूर्वक पढ़ लेना चाहिए।
  10. प्रयोग के तुरंत बाद सामग्री को छात्रों के सामने से हटा देना चाहिए।

दृष्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग

दृष्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग छात्र और विषय सामग्री के मध्य अन्तःक्रिया को तीव्रतम गति पर लाकर छात्रों को शिक्षोन्मुखी तथा जिज्ञासु बनाती है। एक अच्छे शिक्षक के लिए विषय पर आधिपत्य अध्यापन का बहुपयोगी माध्यम है।

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